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आपका ब्लॉग

सशक्त वित्तीय अनुशासन का सन्देश

 - ललित गर्ग - बजट हर वर्ष आता है। अनेक विचारधाराओं वाले वित्तमंत्रियों ने विगत में कई बजट प्रस्तुत किए। पर हर बजट लोगों की मुसीबतें बढ़ाकर ही जाता है। लेकिन...

पर्यावरण के इस उजाले को कोई तो बांचे

 - ललित गर्ग - आदर्श की बात जुबान पर है, पर मन में नहीं। उड़ने के लिए आकाश दिखाते हैं पर खड़े होने के लिए जमीन नहीं। दर्पण आज भी सच बोलता है पर हमने मुखौटे लगा रखे...

इतिहास के साथ खिलवाड़ नहीं करें भंसाली

संदीप कुलश्रेष्ठ              फिल्म निर्देशक श्री संजय लीला भंसाली अपनी फिल्म पद्मावती में इतिहास के साथ खिलवाड़ करते हुए नजर आ रहे हैं। फिल्म में...

153वें मर्यादा महोत्सव- 3 फरवरी, 2017 के लिये मर्यादा महोत्सव है तेरापंथ का महाकुंभ मेला

 - ललित गर्ग - भारत की वसुंधरा ऋषिप्रधान है। भारतीय संस्कृति में दो प्रकार की पद्धतियों का  प्रचलन हैµ एक है श्रमण संस्कृति, और दूसरी है वैदिक...

भारत की राजभाषा होने के नाते हिंदी को संविधान की आठवीं अनुसूची से निकाल लिया जाए

      हिन्दी भारत के व्यापक क्षेत्र की भाषा है, जिसका स्थान एक क्षेत्रीय भाषा से ऊपर उठकर पूरा देश है। हिन्दी समस्त भारत में किसी न किसी रूप में बोली और समझी जाती...

नोटबंदी से बदहाल किसान को बजट से अपेक्षा

संजय रोकड़े  भारत एक कषिृ प्रधान देश है। इसके चलते यहां की अर्थव्यवस्था का आधार भी खेती-किसानी है। आज भी गांव व शहर की आबादी को मिला कर अस्सी फीसदी तक लोग...

अमानक बीज, खाद और कीटनाशक बेचने वालों के विरूद्ध हो सख्त कारवाई

डॉ. चंदर सोनाने                खेती लाभ का धंधा नहीं हैं, यह सब जानते हैं। देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान...

गांधी का पुनर्जन्म हो

- ललित गर्ग -  महात्मा गांधी बीसवीं शताब्दी में दुनिया के सबसे सशक्त, बड़े एवं प्रभावी नेता के रूप में उभरे, वे बापू एवं राष्ट्रपिता के रूप में लोकप्रिय हुए, वे...

गणतंत्र का नया सूरज उगाना होगा

- ललित गर्ग -  यही वही 26 जनवरी का गौरवशाली ऐतिहासिक दिन है जब भारत ने आजादी के लगभग 2 साल 11 महीने और 18 दिनों के बाद इसी दिन हमारी संसद ने भारतीय संविधान को पास...

बेरोजगारी, अशांति एवं असन्तुलन की आशंकाएं

- ललित गर्ग - संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने ‘2017 में वैश्विक रोजगार एवं सामाजिक दृष्टिकोण’ पर हाल ही में अपनी रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट...

देश की सरहदों पर काम करने वाले जवानों के लिए सोचना जरूरी

संदीप कुलश्रेष्ठ                  अब समय आ गया हैं कि देश की सरहदों पर तैनात जवानों की सेवा, सुविधा , पदोन्नति, पेंशन आदि के बारे में नए सिरे से सोचा...

सेना की साख में सुराख होना चिन्तनीय

- ललित गर्ग - कभी-कभी एक आवाज करोड़ों की आवाज बन जाती है। जब कोई मानव का दम घुट रहा हो और वह घुटन से बाहर आना चाहता है तो उसकी आवाज एक प्रतीक बन जाती है।...