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इतिहास के साथ खिलवाड़ नहीं करें भंसाली



संदीप कुलश्रेष्ठ
 
           फिल्म निर्देशक श्री संजय लीला भंसाली अपनी फिल्म पद्मावती में इतिहास के साथ खिलवाड़ करते हुए नजर आ रहे हैं। फिल्म में फिल्माया जा रहा अलाउद्दीन खिलजी के साथ पद्मावती के प्रेम प्रसंग न केवल राजपूत करणी सेना की भावना के साथ खिलवाड़ हैं , अपितु इतिहास के साथ भी छेड़छाड हैं। भंसाली को चाहिए कि वे अपनी गरीमा के अनुसार रहे और इतिहास के साथ खिलवाड़ नहीं करें। 
            हाल ही में सुप्रसिद्ध फिल्म निर्देशक संजय लीला भंसाली और उनकी टीम के साथ जयपुर में राजपूत करणी सेना के लोगो ने मारपीट की । राजपूत करणी सेना का यह कहना हैं कि पद्मावती फिल्म में भंसाली वो प्रसंग डाल रहे हैं , जो काल्पनिक हैं । यही नहीं इतिहास के विपरीत प्रसंग डालकर भंसाली राजपूतों की भवनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। उनका आरोप हैं कि इतिहास में यह प्रसिद्ध वाक्या हैं कि पद्मावती अत्यंत रूपसी थी । दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने पद्मावती के रूप सौंदर्य से आकर्षित होकर चित्तौड पर आक्रमण कर दिया था। वह हर हाल में पद्मावती को प्राप्त करना चाहता था। इसके लिए उसने षडयंत्र का भी उपयोग किया । 
            इतिहास इस संबंध में यह कहता है कि अलाउद्दीन खिलजी और पद्मावती का कभी सीधा आमना सामना नहीं हुआ। युद्ध के दौरान एक शर्त के मुताबिक यह तय हुआ था कि अनावश्यक खूनखराबे से बचने के लिए पद्मावती अलाउद्दीन को अपना रूप दिखा देगी और अलाउद्दीन खिलजी वहां से चला जाएगा। पद्मावती किसी भी स्थिति में अलाउद्दीन खिलजी के सामने सीधे जाना नहीं चाहती थी। इसलिए उसने चतुराई के साथ एक रास्ता यह निकाला कि वह आईने में अपना रूप खिलजी को दिखा देगी और उसने यह किया भी। किंतु पद्मावती का रूप सौंदर्य देखने के बाद अलाउद्दीन खिलजी पद्मावती को प्राप्त करने का प्रयास करने लगा और उसने षड़यंत्रपूर्वक पद्मावती के पति को कैद कर लिया। पद्मावती अपने युद्ध कौषल से अपने पति को छुड़ा लेती हैं। किंतु अलाउद्दीन की अपार सेना और ताकत के मुकाबले राजपूत सेना के कमजोर पडने पर पद्मावती द्वारा यह ऐतिहासिक निर्णय लिया गया था कि वह किसी भी हाल में अलाउद्दीन खिलजी के हाथ नहीं आएगी। इसलिए किले के अंदर पद्मावती ने 1600 रानियों के साथ एक विशाल चिता में अपना आत्मबलिदान कर दिया था। पद्मावती और अन्य रानियों ने मौत को गले लगा लिया , किंतु अलाउद्दीन खिलजी को अपना शरीर छूने भी नहीं दिया था। यह राजपूतो का एक गौरवशाली इतिहास हैं।
                 किंतु संजय लीला भंसाली द्वारा अपने फिल्म में जयपुर के जयगढ़ किले में शुटिंग के दौरान अलाउद्ीन खिलजी और पद्मावती के प्रेम के प्रसंग का फिल्मांकन करने का प्रयास किया गया। इसी से उत्तेजित होकर राजपूत करणी सेना ने भंसाली और उनकी टीम के साथ मारपीट की थी। वे किसी भी हालत में पद्मावती के गौरवशाली इतिहास के साथ छेड़ छाड नहीं होने देना चाहते थे।
                 हिन्दी फिल्म दुनिया में संजय लीला भंसाली का नाम अत्यंत ही आदर और सम्मान के साथ लिया जाता हैं । उनकी पिछली तमाम फिल्में काफी लोकप्रिय भी हुई हैं। भंसाली एक समझदार और कल्पनाशील निर्देशक है। उन्हें चाहिए कि वे राजपूतों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ नहीं करें । साथ ही वे इतिहास के साथ भी ऐसा कोई खिलवाड़ नहीं करें, जिससे कि एक नई कहानी जन्म लें। वैसे भी इतिहास के साथ खिलवाड़ करने की किसी को इजाजत नहीं दी जा सकती हैं। भंसाली ने जयपुर में मारपीट की घटना के बाद अपनी शूटिंग बंद कर दी हैं। और वे अब किसी अन्य स्थान पर फिल्म की शेष शूटिंग करने के इच्छुक हैं।  भंसाली कहीं पर भी शूटिंग करें । उनसे अपेक्षा यही हैं कि वे किसी की भी भावनाओं के साथ खिलवाड़ नहीं करें। और न ही इतिहास को तोड़मरोड़ कर पेष करने का प्रयास करें।
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