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दंगल की जायरा के साथ खडे़ रहने की जरूरत



संदीप कुलश्रेष्ठ
 
                     सुप्रसिद्ध पहलवान महावीर सिंह फोगट के किरदार को फिल्म दंगल में चरितार्थ करने वाले आमीर खान वर्तमान में चर्चा में हैं। दंगल फिल्म में ही महावीर सिंह फोगट की पहलवान लडकी का अभिनय करने वाली कश्मीर की 16 साल की जायरा ने भी अपने अभिनय के बल पर सबका दिल जीत लिया था। किंतु अचानक जायरा ने फिल्म में काम करने के लिए अपना माफीनामा सामने लाकर सबको अचंभित कर दिया। आतंकवादियों ने उसे फिल्म में काम करने पर धमकी दी हैं। इससे डरकर उसे कहना पड़ा “मुझे कोई रोल मॉडल न माने। मैं किसी की रोल मॉडल नहीं हूँ । मेरा कोई अनुसरण नहीं करें।” 
                    जायरा का माफीनामा कई प्रश्न खडे करता हैं। आतंकवादियों द्वारा दी गई धमकी का यह एकमात्र उदाहरण नहीं हैं। उन्होंने कश्मीर में महीनों तक स्कूलों को बंद करवाया । लड़कियों की शिक्षा पर प्रतिबंध लगाया। किंतु हाल ही में 12 वीं की बोर्ड परीक्षा में जम्मू कश्मीर के 75 प्रतिशत विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए हैं। आतंकवादी बुरहान वानी की मौत के बाद अलगाववादियों ने कश्मीर के सारे स्कूल बंद करवा दिए थे। उनके खौफ के कारण बोर्ड परीक्षाएं भी टालनी पडी थी। करीब चार माह स्कूल बंद रहे थे। इसके बाद केंद्र सरकार और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से कश्मीर में शांति लौटी । स्कूल फिर खुले । पिछले दिनों नवंबर में हुई बोर्ड परीक्षा में 95 प्रतिशत विद्यार्थी बैठे। कुल 53,159 विद्यार्थियों में से 40,119 विद्यार्थियों ने 75.46 प्रतिशत अंक हासिल किए । यह अपने आप में एक आदर्श उदाहरण भी कहा जा सकता हैं। 
                     दूसरी तरफ , जायरा का ताजा उदाहरण सामने आया हैं। सोलह साल की इस कश्मीरी लड़की ने अपने माता पिता को बड़ी मुश्किलों से राजी करने के बाद ऑडिशन देकर फिल्म दंगल में अपनी जगह बनाई थी । और फिर अपने अभिनय के बल पर वह कश्मीर के युवाओं के लिए रोल मॉडल बनने लगी थी। किंतु एक दिन अचानक आतंकवादियों से मिली धमकियों से आहत होकर उसे अपना माफीनामा सार्वजनिक करने के लिए मजबूर कर दिया जाता हैं। यहां कश्मीर के लोगों को ही नहीं बल्कि देशभर के लोगों को जायरा के पक्ष में खडे होने की जरूरत हैं। मात्र 16 साल की इस कश्मीरी युवती के मनःस्थिति को भी समझने की जरूरत हैं। ऐसी क्या मजबूरी आ गई कि जायरा को माफीनामा देना पड़ा। उसका माफीनामा पड़ताल की मांग करता हैं। आतंकवादियों का महिला शिक्षा विरोधी का भी यह एक उदाहरण कहा जा सकता हैं। आजादी के करीब सात दशकों बाद भी हमारे देश में महिलाओं के लिए सुरक्षित वातावरण कायम न हो पाना हमारे लिए शर्म की बात हैं। साथ ही यह हमारे लोकतंत्र की भी सबसे बड़ी खामी हैं।

                      जायरा ने हाल ही में कक्षा 10 वीं में 92 प्रतिशत अंक प्राप्त कर यह भी दिखा दिया है कि वह लड़की अत्यंत प्रतिभाशाली हैं। इस प्रतिभावान युवती के कट्टरपंथियों से लड़ने की बजाय अपने कदम पीछे खींच लेने पर समाज के लोगों की जिम्मेदारी हैं कि वह उसके पक्ष में खडे हों। प्रदेश की मुख्यमंत्री सुश्री महबूबा मुफ्ती को भी चाहिए कि वे जायरा को सुरक्षा प्रदान करें। यही नहीं, उसे मानसिक रूप से भी सुरक्षा प्रदान करें। आंतकी गुटो द्वारा जायरा को दी गई धमकी से यह तो स्पष्ट हो गया हैं कि वे नहीं चाहते हैं कि बेटियां आगे बडे और उनका खौफ कम हो जाए। इसलिए वे लोकप्रिय व्यक्तियों के विरूद्ध ऐसी ही कारवाई कर समाज में अपना खौफ फैलाने की कोशीश करते रहे हैं। इस खौफ से मुकाबला करने की जरूरत हैं। जैसा की पिछली बार कश्मीर के वाशिंदो ने कश्मीर में शांति बहाल कर आतंकवादियों को करारा जवाब भी दे दिया हैं। 
                 प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह और प्रदेश की मुख्यमंत्री सुश्री महबूबा मुफ्ती को चाहिए कि वे इस दिशा में तुरंत पहल करें और जायरा के पक्ष में खडे हो कर न केवल जायरा को संबल प्रदान करें, अपितु देश की बेटियों के आगे बढ़ने में आने वाली हर रूकावट को दूर करने का उदाहरण भी प्रस्तुत करें।
 

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