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36 साल पाकिस्‍तान की जेल में बिता अपने देश लौटै गजानंद, गजानंद सहित 30 अन्‍य कैदी रिहा



अमृतसर। राजस्थान के गजानंद शर्मा 36 साल पाकिस्तान के कुख्यात कोट लखपत जेल में बिताने के बाद भारत वापस लौटे। हालांकि पाकिस्तानी अथारिटी द्वारा किए गए अत्याचारों के कारण वह मानसिक रुप से काफी कमजोर दिखाई दिए। लेकिन अपने देश लौटते ही उनकी चेहरे पर खुशी साफ नजर आई।

गजानंद ने जैसे ही भारत की धरती पर कदम रखा तो सामने खड़े परिजनों काे देख उनकी आंखें भर आईं। वह 36 वर्ष पहले लापता हो गए थे। इसी वर्ष उनके पाकिस्तान की जेल में बंद होने के बारे में पता चला था।

आज गजानंद शर्मा सहित 30 भारतीय कैदी पाकिस्तान जेल से रिहा होने के बाद वाघा सीमा से भारत पहुंचे। इनमें से 3 सिविल नागरिक, जबकि 27 भारतीय मछुआरे हैं। गजानंद की मानसिक हालत ठीक नहीं है। उधर, भारत की जेलों से पाक नागरिकों को भी रिहा किया गया है।

जयपुर से अटारी सीमा पर गजानंद शर्मा को लेने पहुंचे सहदेव शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार ने गजानंद शर्मा को भारत लाकर देश के लोगों को स्वतंत्रता दिवस का तोहफा दिया है। बता दें, कुछ दिन पहले गजानंद शर्मा की पत्नी मखनी देवी और बेटे मुकेश ने दिल्ली में विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह से मुलाकात की थी।

वीके सिंह से मुलाकात के दौरान गजानंद के परिवार के साथ जयपुर से भाजपा सांसद रामचरण बोहरा और विधायक सुरेंद्र पारीक भी थे। तब वीके सिंह ने कहा था कि गजानंद शर्मा 13 अगस्त को पाक जेल से रिहा होंगे। आज वह रिहा हो गए हैं।

ऐसे पता चला कि पाकिस्तान जेल में बंद हैं गजानंद-
जयपुर से करीब 36 साल पहले लापता हुए एक व्यक्ति के पाकिस्तान की लाहौर जेल में बंद होने का मामला सामने आया था । जयपुर जिले के सामोद थाना इलाके में गांव महारकलां के 65 वर्षीय निवासी गजानंद शर्मा की भारतीय राष्ट्रीयता के वेरिफिकेशन के संबंध में पाक जेल से दस्तावेज यहां आए थे । जिसके बाद पुलिस अधीक्षक जयपुर ग्रामीण कार्यालय से दस्तावेज सत्यापन के लिए सामोद थाना पुलिस को भेजे गए । जब पुलिस ने गजानंद के परिजनों को तलाश कर उनसे संपर्क किया और गजानंद के पाक जेल में होने की जानकारी दी जिसके बाद पूरा परिवार सदमे में आ गया था।

पाक जेल के दस्तावेजों में गजानंद शर्मा की फोटो देखकर उनके छोटे बेटे मुकेश शर्मा ने दावा किया कि वो उनके पिता ही है। गजानंद शर्मा के परिवार में उनकी 62 वर्षीय पत्नी मखनी देवी, दो बेटे राकेश , मुकेश, बहुएं और पोते हैं। गजानंद की पत्नी मखनी देवी ने बताया कि उनके पति मजदूरी करते थे वह अक्सर घर से बाहर ही रहते थे । कभी कभार घर आते फिर कई दिनों तक बाहर ही रहते थे मखनी देवी ने बताया कि वर्ष 1982 में एक दिन उनके पति गजानंद घर से बिना बताए निकल गए। इसके बाद वह फिर लौटकर नहीं आए। उनकी तलाश में मखनी देवी अपने रिश्तेदारों के साथ कई जगहों पर भटकी। संभावित जगहों पर पति को तलाश किया, लेकिन पता नहीं चला।

सत्यानाश हो पाकिस्तान का, हट्टे-कट्टे पति का बुरा हाल कर दिया-
जयपुर की मखनी देवी के लिए सोमवार को तीज का त्योहार खास बन गया। पाकिस्तान ने अपने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर जिन 27 मछुआरों समेत 30 भारतीय कैदियों को रिहा किया है, उनमें उनके पति गजानंद शर्मा भी हैं। लेकिन, लड़खड़ाते कदमों से भारत की धरती पर कदम रखते गजानंद की स्थिति टीवी पर देख वह व्यथित भी हैं। नाराजगी जताते हुए वे कहती हैं -"मेरे हट्टे-कट्टे पति का बहुत बुरा हाल कर दिया पाकिस्तान ने। ऐसे पाकिस्तान का सत्यानाश हो जाएगा।"

गौरतलब है कि इस वर्ष मई में गजानंद शर्मा के पाकिस्तान जेल में होने की सूचना मिलने के बाद से मखनी देवी परिवार के साथ उनकी रिहाई के लिए नेताओं से लेकर अधिकारियों तक से मिल रही थीं। बीते सप्ताह दिल्ली में उन्होंने विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह से मुलाकात की तो उन्हें पता चला कि गजानंद 13 अगस्त को भारत आ जाएंगे। हालांकि, औपचारिकताएं पूरी होने के बाद गजानंद को जयपुर पहुंचने में अभी एक-दो दिन और लग सकते हैं।

छलक पड़े खुशी के आंसू-
सोमवार को उनका पूरा परिवार सुबह से उस घड़ी का इंतजार कर रहा था, जब गजानंद की रिहाई होती। जैसे ही टीवी पर उनके भारत प्रवेश की तस्वीर आई, पूरे परिवार में खुशी का माहौल छा गया। परिजनों के आंसू निकल पड़े और सभी ने तीज के मौके पर मखनी देवी को घेवर खिलाकर खुशी मनाई। मखनी देवी ने भी लहरिए की साड़ी पहनी हुई थी, जो राजस्थान में तीज के मौके पर सुहागनें पहनती हैं।

बहुत कष्ट में गुजारे 36 साल-
मखनी देवी ने गजानंद के आने से पहले कहा था-"मुझे शांति तभी मिलेगी, जब वह दिल्ली पहुंच जाएंगे और सिंदूर भी तभी लगाऊंगी जब वो घर लौट आएंगे।" ऐसे में मखनी देवी सोमवार सुबह से ही पूजा-अर्चना कर पति के सुरक्षित घर लौटने की प्रार्थना कर रही थीं। गजानंद को टीवी पर देखने के बाद मखनी देवी ने कहा-"मैंने ये 36 साल बहुत कष्ट में गुजारे हैं, लेकिन आज मैं बहुत खुश हूं, बस दुख इतना ही है कि पति की स्थिति अच्छी नही दिख रही है।"

काम की तलाश में निकले और फिर लंबा इंतजार-
गजानंद काम की तलाश में निकले थे और फिर लौटे ही नहीं। मखनी देवी ने बताया कि उन्होंने चार-पांच साल तो बहुत ढूंढ़ा, लेकिन फिर हिम्मत हार गई। जब पति गए तो बड़ा बेटा 15 और छोटा 12 साल का था। उन्हें अस्पताल में नौकरी कर पाला है।

मंत्रालय के पत्र के साथ आया उम्मीदों का संदेश-
तीन माह पहले उनके पैतृृक गांव सामोद के थाने में गृृह मंत्रालय का एक पत्र पहुंचा, जिसमें गजानंद के सामोद निवासी होने की तस्दीक करने को कहा गया था। तब घर वालों को पता चला कि गजानंद जिंदा हैं, लेकिन पाकिस्तान की जेल में बंद हैं। मखनी देवी ने बताया कि सूचना के वक्त वह शिवजी की पूजा कर रही थीं। बेटे मुकेश ने फोन कर बताया कि पिताजी मिल गए हैं...तो यकायक यकीन नहीं हुआ।

उन्होंने पूछा कि क्या घर आ गए तो बेटे ने कहा कि नहीं, पाकिस्तान की जेल में हैं। मखनी देवी ने बताया कि पाकिस्तान का नाम सुनते ही उनकी आंखों के सामने अंधेरा छा गया और वह बेहोश जैसी हो गईं। लगा कि जिंदा तो हैं, पर लौट पाएंगे या नहीं। बाद में नेताओं व अधिकारियों से मिल कर उनको छुड़ाने मुहिम में जुट गईं।

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