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संदीप सृजन म.प्र. लेखक संघ के डॉ देवेन्द्र जोशी स्मृति सम्मान से सम्मानित म.प्र. लेखक संघ के 31 वें वार्षिक समारोह में हुआ सम्मान


उज्जैन- मध्य प्रदेश लेखक संघ भोपाल द्वारा 5 जनवरी, रविवार को मानस भवन में आयोजित 31 वें वार्षिक समारोह में उज्जैन के  युवा कवि एवं पत्रकार श्री संदीप सृजन को डॉ देवेन्द्र जोशी हिंदी-मालवी सेवी सम्मान से सम्मानित किया गया। श्री सृजन को यह सम्मान भव्य आयोजन में पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा, रविन्द्रनाथ टेगौर वि.वि. के कुलपति श्री संतोष चौबे, डाॅ. उमाशंकर पचौरी, लेखक संघ के अध्यक्ष श्री राजेन्द्र गट्टानी, डॉ. रामवल्लभ आचार्य,ऋषि शृंगारी,मनीष बादल, सीमा देवेन्द्र, डॉ हरीमोहन बुधोलिया आदि ने प्रदान किया। सम्मान स्वरूप प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिन्ह, शाल, श्रीफल और सम्मान राशि प्रदान की गई। समारोह में की अध्यक्षता कर रहे पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि जिसमें मानवता नहीं है वह मनुष्य होते हुए भी मनुष्य नहीं है। साहित्य मनुष्य को मनुष्य बनाता है। आज लोग साहित्य से विमुख होते जा रहे हैं इसलिये विश्व में मानवता भी समाप्त होती जा रही है। मुख्य अतिथि श्री संतोष चौबे ने कहा कि आज कृत्रिम बुद्धिमत्ता अर्थात ए.आई. को मानव बुद्धि के लिये चुनौती बन गयी है किन्तु मुझे लगता है कि मानव बुद्धि को इससे कोई खतरा नहीं है। समारोह के सारस्वत अतिथि डाॅ. उमाशंकर पचौरी ने कहा कि साहित्य केवल मनोरंजन के लिये नहीं होना चाहिए वरन उसमें समाज के लिये कुछ उपदेश भी होना चाहिये । सम्मानमूर्तियों की ओर से स्वीकृति वक्तव्य देते हुए डाॅ. मोहन गुप्त ने कहा कि साहित्य असमय का सहायक है । इसलिये साहित्यकारों के योगदान को रेखांकित करने से उनका मनोबल बढ़ता है । इसी क्रम में डाॅ. श्रीराम परिहार ने कहा कि शब्द की साधना मनुष्य के भीतर के अंधकार में प्रकाश करने के समान है । इस दिशा में लेखक संघ जैसी संस्थाओं का योगदान महत्वपूर्ण है। आयोजन में साहित्य की विभिन्न विधाओं के श्रेत्र में स्थापित सम्मानों से 30 साहित्यकारों को सम्मानित किया गया।समारोह का प्रारंभ वन्दे मातरम् गान तथा सरस्वती वंदना से हुआ जिसे मधुर शर्मा एवं साथियों ने प्रस्तुत किया । स्वागत उद्बोधन श्री राजेन्द्र गट्टानी ने तथा आभार प्रदर्शन ऋषि श्रंगारी ने किया। मनीष श्रीवास्तव बादल ने संघ की गतिविधियों का विवरण दिया तथा डाॅ. प्रार्थना पंडित ने सम्मानित साहित्यकारों का परिचय दिया । राष्ट्रगान कर साथ समापन हुआ।

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