एससी/एसटी एक्ट संशोधन बिल 2018 राज्यसभा में पारित
नई दिल्ली। नौवीं अनुसूची में शामिल नहीं किए जाने के मलाल के साथ समूचे विपक्ष ने एससी-एसटी संशोधन विधेयक को भी राज्यसभा से पारित करने में सरकार का साथ दिया। यह विधेयक लोकसभा से पहले ही पारित किया जा चुका है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश से इस कानून के तहत तत्काल गिरफ्तारी के प्रावधान पर लगी रोक भी खत्म हो गई।
सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल मई में एससी-एसटी कानून के तहत मामला दर्ज होने पर तत्काल गिरफ्तारी जैसे सख्त प्रावधान को खत्म कर दिया था। अदालत ने माना था कि इस कानून का बेजा इस्तेमाल हो रहा है, जिस पर रोक लगनी चाहिए। शीर्ष अदालत के इस फैसले के बाद दलित संगठनों ने देशव्यापी आंदोलन शुरू कर इसे राजनीतिक रंग दे दिया था।
विपक्षी दल भी अदालत के बहाने सरकार पर बरस रहे थे। जबकि सरकार ने अपनी मंशा साफ कर दी थी कि वह कानून में कोई ढील नहीं देने देगी। इसी के तहत कैबिनेट की मंजूरी के बाद विधेयक संसद में पेश कर पारित करा लिया गया।
मोदी सरकार पिछड़ों के हितों के लिए प्रतिबद्ध-
विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए सामाजिक अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा कि मोदी सरकार गरीबों, पिछड़ों के हितों के लिए हमेशा के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि हमारी समाज के पिछड़े वर्ग के लिए जो प्रतिबद्धता है वह किसी के दवाब में नहीं आई है। उन्होंने सभी सांसदों से विधेयक का समर्थन कर कानून को और मजबूत बनाने का आग्रह किया।
कांग्रेस का आरोप, बार-बार दी जाएगी अदालत में चुनौती-
इससे पूर्व चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस नेता कुमारी सैलजा ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार चाहती तो इसे नौंवी अनुसूची में डालती, जिससे अदालतें इसमें कुछ नहीं कर पातीं। नौंवी अनुसूची में नहीं होने की वजह से इसे बार-बार अदालत में चुनौती दी जाएगी।
भाजपा के किरोड़ीलाल मीणा ने कांग्रेस पर बरसते हुए उसे एससी और एसटी विरोधी बताया। उन्होंने कुछ राज्यों का नाम लेते हुए वहां की दलित विरोधी गतिविधियों का ब्योरा दिया। इसके बाद सदन में हंगामा शुरू हो गया, जिससे सदन को अल्पकाल के लिए स्थगित करना पड़ा।
शिवसेना ने पासवान के बयान पर जताई आपत्ति-
शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा, "मैं डॉ आंबेडकर, बाबा फुले के प्रदेश से आता हूं। हमारी पार्टी शिवसेना से ज्यादा सामाजिक न्याय व समता के बारे में शायद ही कोई और जानता होगा।"
उन्होंने कहा कि इस विधेयक को लेकर गुरुवार को भी महाराष्ट्र बंद है। उन्होंने पासवान के उस बयान पर आपत्ति जताई जिसमें उन्होंने शिवसेना को दलित विरोधी बताया था। बसपा के राजाराम ने कहा कि सरकार ने यह विधेयक चुनावी दबाव में पारित कराया है। चर्चा में सपा के रामगोपाल यादव, भाकपा के डी. राजा और नरेंद्र जाधव ने भी हिस्सा लिया।