top header advertisement
Home - राष्ट्रीय << गूगल ने यूजर्स के मोबाइल में सेव किया UIDAI नंबर, फिर मांगी माफी

गूगल ने यूजर्स के मोबाइल में सेव किया UIDAI नंबर, फिर मांगी माफी



शुक्रवार को देशभर के लाखों मोबाइल फोन्स में यूआईडीएआई का टोल फ्री नंबर नजर आने के बाद इस पर गंभीर बहस शुरू हो गई। सोशल मीडिया में खबर वायरल होने के बाद यूआईडीएआई ने साफ किया कि 1800-300-1947 नंबर उसका नहीं है। दूसरी तरफ टेलीकॉम कंपनियों ने भी इससे पल्ला झाड़ लिया। आखिरकार, देर रात गूगल ने इसकी जिम्मेदारी लेते हुए माफी मांगी है।

गूगल से हुई गलती, माफी मांगी
बिना जानकारी के आधार हेल्पलाइन नंबर फोन बुक में आने के मामले में मचे हंगामे के बाद गूगल ने देर रात माफी मांगी। कहा, असावधानी के चलते यूआइडीएआइ का पुराना हेल्पलाइन नंबर और 112 हेल्पलाइन नंबर एंड्रॉएड पर चलने वाले फोन सेट में सेव हो गए। आंतरिक समीक्षा में गूगल ने पाया कि 2014 का हेल्पलाइन नंबर फोन बुक में पहुंच गया।

यह था मामला
शुक्रवार को स्मार्टफोन यूजर्स के फोनबुक में कथित तौर पर अपने आप ही "आधार" उपलब्ध कराने वाली भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) का पुराना और बंद हो चुका हेल्पलाइन नंबर सेव हो गया। इस घटना से भौचक्क एक यूजर ने सेव हुए नंबर के स्क्रीन शॉट के साथ ट्वीट किया- "यह कोई मजाक नहीं है, ऐसा मेरे फोन में भी हुआ है। मैंने इस नंबर को सेव नहीं किया है। आप भी जल्दी अपना फोन चेक करें, चिंतित हूं।"

एक अन्य यूजर ने भी ट्वीट किया- "मेरे फोनबुक में यह कैसे हुआ? यदि आप यह कर सकते हैं तो आप मेरी गतिविधियों को पढ़ सकते हैं और उन पर नजर रख सकते हैं।"

यूजरों की इन चिंताओं से हरकत आई में आया यूआईडीएआई ने अपनी ओर से स्पष्ट किया है कि कुछ निहित स्वार्थी तत्व लोगों में "भ्रम" फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। उसने किसी भी फोन निर्माता या टेलीकॉम सेवा प्रदाता को ऐसी कोई (नंबर देने की) सुविधा देने को नहीं कहा है। यूआईडीएआई का यह भी कहना है कि एंड्रॉयड फोन में जिस टोल फ्री नंबर (1800-300-1947) के अपने आप सेव होने की रिपोर्ट है, वह पुराना और अमान्य हो चुका है। पिछले दो साल से यूआईडीएआई का वैध और चालू हेल्पलाइन नंबर 1947 है।

मालूम हो कि इसके पहले भी आधार के डेटा लीक होने को लेकर आशंकाएं उठती रही हैं। 28 जुलाई को ही भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के अध्यक्ष आरएस शर्मा ने अपना 12 अंकों वाला आधार नंबर सार्वजनिक करते हुए आलोचकों तथा हैकरों को उनका डेटा लीक करने की चुनौती दी थी। इसके जवाब में एक एथिकल हैकर ने शर्मा के कम से कम 14 विवरण निकाल कर बता दिया था। तब भी यूआईडीएआई ने दावा किया कि ट्राई अध्यक्ष के विवरण आधार से नहीं लिए गए। साथ ही उसने आम लोगों को अपना आधार नंबर सोशल मीडिया पर शेयर नहीं करने को आगाह किया था।

ऐसे हुई मामले की शुरुआत
दरअसल, अपने आपको एक फ्रेंच सिक्योरिटी एक्सपर्ट बताने वाले इलियट एल्डरसन नामक शख्स ने एक ट्वीट कर यूआईडीएआई से पूछा- "अलग-अलग दूरसंचार कंपनियों के कई यूजर के फोन में उनकी जानकारी के बिना आधार का फोन नंबर उनकी कांटैक्ट लिस्ट में सेव है। इनके पास आधार कार्ड नहीं है, इनके फोन में आधार का एप भी नहीं है। क्या आप बताएंगे, ऐसा क्यों?"इस ट्वीट के बाद ट्विटर पर बहुत से लोगों ने अपने एड्रेस बुक का स्क्रीनशॉट शेयर करना शुरू कर दिया। एक यूजर ने तो यहां तक लिखा कि "यह सही है कि आधार का हेल्पलाइन फोन नंबर मेरे फोन में जादू जैसे आ गया। क्या वे अमेरिकी एनएसए की तरह हमारी जासूसी कर रहे हैं?"

टेलीकॉम इंडस्ट्री ने कहा, हमारा हाथ नहीं
मामले पर टेलीकॉम इंडस्ट्री ने भी सफाई दी है। सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने कहा है कि यूआइडीएआइ का कथित हेल्पलाइन नंबर फोन बुक में सेव करने में उनका कोई हाथ नहीं है।

Leave a reply