निर्भया केस में दोषी ठहराए गए जुवेनाइल का अता-पता नहींः महिला एवं विकास मंत्रालय
नई दिल्ली। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 2012 निर्भया गैंगरेप मामले में अभियुक्तों के लिए मौत की सजा को बरकरार रखने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया। सुप्रीम कोर्ट ने अभियुक्तों की तरफ से लगाई गई पुनर्विचार याचिका पर सोमवार को यह फैसला दिया।
हालांकि, यह अफसोसजनक है कि यौन अपराधियों के राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार करने के महत्वपूर्ण फैसले को लेने में देरी हुई है। इसका मतलब यह है कि मामले में किशोर दोषी तीन साल तक सुधार गृह में बिताने के बाद अब उसका अता-पता नहीं है।
मध्यप्रदेश में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि नाबालिक लड़की से बलात्कार के दोषी को राज्य में नए कानून के निर्माण के बाद मौत की सजा दी गई थी। उन्होंने कहा कि महिलाओं के साथ बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों पर गृह मंत्रालय का दृढ़ संकल्प दर्शाता है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा उठाए गए कदम इस तरह के अपराधों को करने वाले अपराधियों को हतोत्साहित करेंगे। 21 अप्रैल को केंद्र ने 12 साल से कम उम्र के बच्चों के बलात्कारियों को मौत की सजा देने के लिए पॉक्सो एक्ट में संशोधन को मंजूरी दे दी।
एक अधिकारी ने कहा कि हम यौन अपराधियों की रजिस्ट्री तैयार करने के लिए गृह मंत्रालय से आग्रह कर रहे हैं। मगर, इसकी स्वीकृति हाल ही में मिली थी। नतीजतन, जुवेनाइल के बारे में कोई भी जानता है और किसे के पास उसका ब्योरा नहीं है।
अप्रैल में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने यौन अपराधियों की रजिस्ट्री तैयार करने की मंजूरी दे दी। इसमें न केवल दोषी ठहराए गए अपराधियों के प्रोफाइल और व्यक्तिगत विवरण होंगे, बल्कि ऐसे अपराधों के आरोपियों के नाम भी शामिल होंगे। सूत्रों ने कहा कि 2016 में खबरें थीं कि निर्भया केस में दोषी ठहराए गए जुवेनाइल ने अपना नाम बदल लिया और एनजीओ की मदद से दिल्ली से दूर स्थित एक भोजनालय में वह काम कर रहा था।