महाकाल मंदिर में फिर चल पड़ा ठगी का गौरख धंधा, महाराष्ट्र की महिला श्रद्धालु से ठगे 8500 रूपए रूपए लेने वाले का नाम सामने, फिर भी कार्रवाई से बच रहे जिम्मेवार
उज्जैन - ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर में कार्यरत कर्मचारियों में न तो भगवान का डर बचा है और न अपने उच्चाधिकारियों का। यही वजह है कि लगातार कोशिशों के बाद भी श्रद्धालुओं के साथ ठगी की घटनाएं नहीं थम रहीं हैं। रविवार को फिर से पुणे (महाराष्ट्र) की महिला श्रद्धालुओं से भस्मार्ती के नाम पर पैसे वसूले गए। मंदिर समिति सदस्य से चर्चा में इस मामले का खुलासा हुआ नहीं तो कर्मचारी ने तो ठगी कर ही ली थी। इसके बाद श्रद्धालु महिलाओं को थाने भिजवाकर एक शिकायती आवेदन भी लिया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। बताया जा रहा है कि जिस शख्स ने दर्शन करवाने का वादा किया था, उसने श्रद्धालुओं को रुपए लौटा दिए। इसके बाद मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
मिली जानकारी अनुसार पुणे से विद्या भूमकर, मोनिका पायगुडे, रेशमा जगताप और ऋतुजा बाल मुढ़े रविवार को महाकाल मंदिर आए थे। दोपहर 2.30 बजे महाकाल मंदिर पहुंचकर दर्शन पूजन के बाद उनकी इच्छा भस्मार्ती में सम्मिलित होने की हुई। इसी दौरान महाकाल मंदिर प्रबंध समिति सदस्य राजेंद्र शर्मा वहां से गुजरे, महिलाओं ने उन्हें भस्मार्ती के लिए अनुरोध किया, तो उन्होंने प्रयास करने की बात कहते हुए महिला श्रद्धालुओं के आधार कार्ड व नंबर ले लिए। उन्होंने कहा कि अनुुमति मिलती है तो मंदिर की ओर से आपके मोबाइल पर शाम तक लिंक आएगी, उस पर क्लिक कर आप प्रति टिकट निर्धारित 200 का भुगतान कर देना। लेकिन शाम 7 बजे तक इंतजार करने पर भी जब कोई लिंक नहीं आई, तो उन्होंने अपने रिश्तेदारों से बात की। जिसके बाद रिश्तेदारों ने दीपक वैष्णव नामक शख्स से बात की और 3 पास के 8500 रुपए मांगे। महिलाओं ने रिश्तेदारों को गूगल-पे के माध्यम से रुपए भेज दिए लेकिन भस्मार्ती की लिंक नहीं आई। इधर मंदिर समिति के सदस्य राजेंद्र शर्मा ने अनुमति बनाकर महिलाओं के नंबर पर भेज दी। जिसे उन्होंने 800 रुपए का भुगतान कर डाउनलोड कर लिया। इसके बाद महिला श्रद्धालुओं ने दीपक वैष्णव से रुपए वापस करने की बात कही, लेकिन रिस्पॉन्स नहीं मिला। जिसके बाद उन्होंने राजेंद्र शर्मा को पूरी हकीकत बताई। राजन्द्र शर्मा के कहने पर महिला श्रद्धालुओं ने महाकाल थाने में शिकायती आवेदन भी दिया। इसके बाद पुलिस ने दीपक वैष्णव से उसके मोबाइल पर बात की, तो वो रुपए लौटाने के लिए राजी हो गया और कुछ देर में उसने महिलाओं से ली गई राशि भी लौटा दी।
भस्मारती और दर्शन के नाम पर हो रही वसूली
इस मामले के खुलासे से एक बार फिर से साफ हो गया कि महाकाल मंदिर में लोगों के साथ ठगी का धंधा अब भी जारी है। जबकि इससे पहले कलेक्टर नीरज कुमार सिंह स्वयं दर्शन करवाने के नाम पर चल रहे फर्जीवाड़े को पकड़ चुके हैं और मामले में अब भी कई लोग सलाखों के पीछे हैं, बावजूद इसके मंदिर कर्मचारियों में किसी का डर नहीं है। समय रहते यदि इस मामले की जानकारी सामने नहीं आती, तो ये सौदा तो हो ही चुका था। श्रद्धालु एक या दो बार पैसों की मांग करते और नहीं देने पर चले जाते या फिर ये समझते कि ठग ने ही उन्हें आरती में शामिल होने की परमिशन दिलाई होगी। बहरहाल इस घटना से ये तो साफा हो गया है कि ठग अब भी सक्रिय हैं।
दिखावट के लिए लगाए होर्डिंग्स, पूरी हुई औपचारिकता
21 दिसम्बर 2024 में हुई ठगी की घटना के बाद महाकाल मंदिर समिति एकाएक सक्रिय हुई और मंदिर परिसर में कुछ स्थनों, शक्तिपथ स्थित महाकाल लोक के प्रवेश द्वार पर भस्मार्ती के बोर्ड लगा दिए हैं। इसमें से कुछ होर्डिंग्स पर भस्मार्ती से संबंधित निर्देश के साथ टोल फ्री नंबर और कंट्रोल रूम का नंबर लिखा है। मंदिर प्रशासन मान रहा है कि ऐसा करने से उनकी जिम्मेवारी पूरी हो गई। जबकि हकीकत में मंदिर में लगाए गए बोर्डों की संख्या काफी कम है। इस वजह से श्रद्धालुओं को सही जानकारी नहीं मिल पाती और वे ठगी का शिकार हो जाते हैं।
इस दीपक को किसने जलाया
दर्शन और भस्मारती के नाम पर महाकाल मंदिर में भक्तों के साथ की जाने वाली इस तरह की ठगी केवल एक व्यक्ति के बस की बात नहीं होती। ये सच तो पिछली बार पकड़ाई गैंग की लिंक से ही हो गया था। अब सावल ये उठता है कि आस्था के इस केंद्र बिंदु पर ये दीपक किसने जलाया, जो घर को ही नुकसान पहुंचाने में लगा है। दीपक वैष्णव ने पूणे से आई महिला श्रद्धालुओं के साथ जो किया, उससे ये भी पता चलता है कि इसमें वह अकेला नहीं बल्कि और भी लोग शामिल हैं।
कौन और क्यों बचा रहा दीपक को
जब इस बात का खुलासा हो ही चुका है कि दीपक वैष्णव द्वारा महिला श्रद्धालुओं से 8500 रूपए लिए गए हैं और ये भी साफ हो चुका है कि पुलिस हस्ताक्षेप के बाद ही दीपक ने वो रकम महिला श्रद्धालुओं को लौटाई थी, तो फिर मंदिर समिति कार्रवाई करने में क्यों देरी कर रही है। पूर्व की तरह दीपक के खिलाफ कार्रवाई करने से उसके साथ काम करने वाले उन लोगों के चहरे सामने आ जाएंगे, जिन्हें न तो भगवान का डर बचा है और न कानून का। यदि दीपक पर कार्रवाई नहीं की गई, तो आगे चलकर मंदिर में फिर बड़े मामले का भंडाफोड़ होगा।
पूर्व के चार इनामी अब भी फरार
आपको बता दें कि महाकालेश्वर मंदिर में लोगों के साथ धोखाधड़ी और ठगी के मामले का खुलासा कलेक्टर नीरज कुमार सिंह द्वारा किया गया था। धीरे धीरे जब मामले की परतें खुली तो एक के बाद एक कई नाम सामने आए, जिसमें मंदिर समिति के कर्मचारियों के अलावा आउटसोर्स कर्मचारियों के नाम भी जुड़े थे। करीब महीने भर चली कार्रवाई में एक दर्जन से ज्यादा लोगों के नामों का ख्ुालासा हुआ। जिसमें से कई लोग अब भी जेल में बंद हैं और कई लोग फरार हैं। फरार आरोपियों पर पुलिस ने ईनाम भी घोषित किया हुआ है।