पंचक्रोशी यात्रा कुल पाँच दिनों तक चलती है और श्रद्धालु पैदल यात्रा कर इन तीर्थों के दर्शन करते हैं।
उज्जैन,04 मार्च। प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी उज्जैन की प्रसिद्ध धार्मिक और आध्यात्मिक यात्रा, पंचक्रोशी यात्रा (पंचेशानी यात्रा) वैशाख कृष्ण दशमी से आरंभ होकर वैशाख मास की अमावस्या को समाप्त होगी। उल्लेख्ननीय है कि यह यात्रा लगभग 118 किलोमीटर लंबी होती है। इस यात्रा को अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। उज्जैन के पटनी बाज़ार स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर से यात्रा हेतु बल प्राप्त कर यात्रा प्रारंभ की जाती है एवं समाप्ति पर पुनः श्रुद्धालुओं द्वारा बल लौटाने हेतु श्री नागचंदेश्वर दर्शन की मान्यता है।
यात्रा मार्ग पड़ाव / उपपड़ाव एवं दूरी :- नागचंद्रेश्वर से पिंगलेश्वर पड़ाव-12 कि.मी., पिंगलेश्वर से कायावारोहह्मेश्वर पड़ाव 23 कि.मी., कायावारोहह्मेश्वर से नलवा उप-पड़ाव 21 कि.मी., नलवा उप-पड़ाव से बिल्केश्वर पड़ाव (अम्बोदिया) 06 कि.मी., अम्बोदिया पड़ाव से कालियादेह उप-पड़ाव 21 कि.मी., कालियादेह उप-पड़ाव से दुदरेश्वर पड़ाव (जैथल)-12 कि.मी., दुदरेश्वर पड़ाव (जैथल) से उंडासा उप-पड़ाव 16 कि.मी., उंडासा उप-पड़ाव से क्षिप्रा घाट, रेती मैदान 12 कि.मी.।
इस यात्रा का उल्लेख प्राचीन हिंदू ग्रंथों में किया गया है। पंचक्रोशी यात्रा कुल पाँच दिनों तक चलती है और श्रद्धालु पैदल यात्रा कर इन तीर्थों के दर्शन करते हैं। माना जाता है की यह यात्रा पापों का नाश करने वाली और मोक्ष प्रदान करने वाली यात्रा है यात्रा के दौरान श्रद्धालु पड़ाव / उप-पड़ाव पर धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। पंचक्रोशी यात्रा उज्जैन की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह न केवल आध्यात्मिकता को बढ़ावा देती है बल्कि श्रद्धालुओं को शारीरिक और मानसिक शुद्धि का अनुभव भी कराती है।
यात्रा को और बेहतर बनाने के लिए शासन द्वारा विभिन्न व्यवस्थाएं की जाती है। इनमें प्रत्येक पड़ाव, उप पड़ाव स्थल पर यात्रियों के मार्गर्दशन हेतु व्यवस्था कार्यालय /कंट्रोलरूम एवं पुलिस केम्प स्थापित करना। प्रत्येक पड़ाव, उप-पड़ाव स्थल पर एवं विश्रांति स्थल पर यात्रियों की मूलभूत सुविधाओं हेतु छाया हेतु टेंट, प्रकाश व्यवस्था, शौचालय, स्नानागार, पेयजल की पर्याप्त व्यवस्था करना। उचित मूल्य दुकानों के माध्यम से खाद्य सामग्री जैसे आटा, दाल, चावल, शक्कर, चायपत्ती एवं दैनिक नित्य उपयोगी वस्तुओं की उचित मूल्य पर विक्रय की व्यवस्था करना। उज्जैन दुग्ध संघ द्वारा सांची पांईट के माध्यम से दुध, घी एवं दुध से निर्मित अन्य सामग्रियों की उचित मूल्य पर व्यवस्था करना। पड़ाव एवं उप-पड़ाव के विश्राम स्थल पर पेयजल (ठंडा) हेतु टैंकर की व्यवस्था करना। प्रत्येक पड़ाव, उप-पड़ाव स्थल पर 20 बेड का अस्थाई चिकित्सालय मय आवश्यक प्राथमिक उपकरण, दवाईयों, पेट्रोलियम जैली, स्टाफ की स्थापना एवं आपात स्थिति हेतु एम्बुलेंस की व्यवस्था करना। प्रत्येक विश्रांति स्थल पर प्राथमिक चिकित्सा एवं पेट्रोलियम जैली वितरण की उपलब्धता मार्ग का डामरीकरण एवं स्ट्रीट लाईट की व्यवस्था करना, जनसुविधा केन्द्रों का निर्माण करना, सतत विद्युत आपूर्ति करना, हेड काउंटिंग की व्यवस्था करना, सामूहिक बीमा कराना शामिल हैं।