होलाष्टक 7 से, आठ दिन तंत्र, मंत्र साधना करेंगे, खरमास 14 से, एक माह तक मांगलिक कार्य नहीं
उज्जैन मृगशिरा नक्षत्र और वृषभ राशि में चंद्रमा की स्थिति में होलाष्टक 7 मार्च से शुरू होगा। इस दौरान आठ विशेष रात्रियां होती हैं। होलाष्टक फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी से होलिका दहन तक रहेगा। इस दौरान मांगलिक कार्य का निषेध माना गया है। हालांकि महाराष्ट्र में मांगलिक कार्य जारी रखे जाते हैं। पं. अजय कृष्ण शंकर व्यास के अनुसार होलाष्टक की आठ रात्रियों में तंत्र, मंत्र और यंत्र की साधना का महत्व माना गया है। सिद्ध रात्रि, काल रात्रि और मोह रात्रि जैसी रात्रियां पर्व काल में अधिक प्रभावशाली होती हैं। होलिका दहन के बाद होलाष्टक का समापन हो जाएगा। इस वर्ष खरमास 14 मार्च से शुरू होगा। सूर्य के मीन राशि में प्रवेश से खरमास का प्रारंभ हो रहा है। इस दौरान एक माह तक शुभ कार्य नहीं किए जाते। होलिका त्योहार 13 मार्च को प्रदोष काल में है। इस दिन फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के बाद पूर्णिमा तिथि रहेगी। इस दिन सुबह 10 बजकर 23 मिनट पर भद्रा लगेगी, जो रात 11.30 बजे तक रहेगी। पंडित अमर डिब्बेवाला ने बताया कि होलिका का दहन भद्रा के बाद किया जाना चाहिए। रात 11.30 बजे के बाद होलिका दहन का शास्त्रीय अभिमत भी प्राप्त होता है, वहीं कुछ स्थानों पर मध्य रात एवं ब्रह्म मुहूर्त पर होलिका का दहन की परंपरा है। इस दृष्टि से रात में ही होलिका दहन श्रेष्ठ बताया जाता है।