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'जस्ट-ए-स्केप्स'रचनाधर्मी नायाब अभिव्यक्ति



 'जस्ट-ए-स्केप्स'रचनाधर्मी नायाब अभिव्यक्ति
( चंडीगढ़ से सुभाष अरोड़ा द्वारा प्रेषित) 
चंडीगढ़ एक मार्च 2025 स्थानीय अलियांस  फ्रांसिस, सेक्टर 36 ए की कला दीर्घा में इन दोनों 10 मार्च तक चल रही 
'जस्ट-ए- स्केप्स' नामक  आर्टिस्ट शंकर एस की फोटो मोंटाज़ प्रदर्शनी रचना  धर्मिता का नायाब उदाहरण है।दरअसल कोलकाता के शंकर एस हैं तो  प्रशिक्षित परंपरागत पेंटर और साथ ही दक्ष छायाकार भी, तिसपर एनीमेशन का तड़का उन्हें न्यू मीडिया की राह पर ले आया। 
टीवी की पिक्चर इन पिक्चर चित्रण पद्धति को अंगीकार करते हुए उन्होंने डिजिटल कंपोज्ड फोटोग्राफिक इमेजिंग से अपने सरोकारों को विविध चित्रों के माध्यम से सौंदर्य पूर्ण अभिव्यक्ति द्वारा नया आयाम दिया है। कलाकार अपने विशिष्ट सौंदर्य बोध से चयनित विषय वस्तु को बाखूबी कंपोज करने में कामयाब रहा है। उनकी रचना धर्मिता में टुकड़ा- टुकड़ा दृश्य समग्रता ग्रहण करता है। 
सड़क निर्माण के लिए उपयोग किए जाने वाले उपकरण, खजूर से गुड़ निर्माण के दृश्य हो या फिर ऑपरेशन सनशाइन अंतर्गत अतिक्रमण हटाना और पुनः उसी स्थान पर छोटी-छोटी दुकानों का उभरना, कोलकाता में धीरे-धीरे विलोपित हो रही 
 ट्राम सेवा के चलन से बाहर हुई ट्रामों का अचल  रेस्टोरेंट अथवा विश्राम स्थल में बदलाव, राजबाड़ी का  खंडहर या  औरंगाबाद का बीवी का मकबरा, पाम वृक्ष, साधारण बाथरूम, नष्ट प्रायः प्लाईवुड अर्थात् परिवर्तन और प्रकाश की जुगलबंदी से उत्पन्न सौंदर्य पूर्ण 'विवर्त' (रज्जू में सर्प की  भ्रांति )कलाकार की संवेदना को उद्वेलित करने वाला दृश्यमान अतुल्य संयोजन दर्शक के मन को छू जाता है।मसलन घुमावदार सीढ़ियों की भूल- भुलैया से जूझता कलाकार दर्शक को भी उसमें  उलझा देता है।अपनी इस कृति को रचनाकार ने 'Ascend or Descend ?' टाइटल दिया है जो सर्वथा माकूल है । विद्वान समालोचक और संपादक सामिक बंदोपाध्याय ने शंकर की इस चित्र श्रृंखला को आनंदित करने वाले एक्सप्लोसिव रिलीज की सार्थक संज्ञा दी है । कला प्रेमियों से आग्रह है कि समय निकालकर प्रदर्शनी का अवलोकन करने का कष्ट करें।

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