विक्रमोत्सव 2025 : भारतीय अस्मिता का उत्सव सवा सौ दिवसीय सनातन संस्कृति के स्वरूप से बनेगा विश्व कीर्तिमान उज्जैन में विक्रमोत्सव का अभूतपूर्व और ऐतिहासिक आयोजन महाशिवरात्रि से 30 जून तक 125 दिन होंगे विभिन्न कार्यक्रम
उज्जैन- विक्रमादित्य, उनके युग, भारत उत्कर्ष, नवजागरण और भारत विद्या पर एकाग्र विक्रमोत्सव 2025 का शुभारंभ केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत की गरिमामय उपस्थिति में माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव महाशिवरात्रि (26 फरवरी 2025) को करेंगे। विक्रमोत्सव का यह प्रथम चरण सृष्टि आरंभ दिवस, वर्ष प्रतिपदा (30 मार्च 2025) को सम्पन्न होगा इसी दिन जल गंगा संवर्धन अभियान का शुभारंभ भी होगा जो 30 जून 2025 तक पूरे मध्यप्रदेश की नदियों, तालाबों एवं जल संरचनाओं के संवर्धन, संरक्षण के लिए कार्यक्रम आयोजित होंगे। यह जानकारी महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक ने प्रेस कान्फ्रेंंस में बतायी। इस मौके पर वरिष्ठ पुरातत्वविद डॉ. आरसी ठाकुर, पुरातत्वविद डॉ. रमण सोलंकी, अंतर्राष्ट्रीय कवि दिनेश दिग्गज उपस्थित थे। निदेशक श्रीराम तिवारी ने बताया कि इस वर्ष विक्रमोत्सव की शुरूआत कलश यात्रा अंतर्गत विन्टेज कार, स्पोर्ट्स बाईक व जनजातीय कलाकारों की प्रस्तु्ति से होगी। मुख्य कार्यक्रम में सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में शुरू हो रहे सभी प्रमुख 51 महाशिवरात्रि मेलों समारंभ, सिंहस्थ 2028 की रूपरेखा का लोकार्पण शामिल है साथ ही सायंकालीन सांस्कृतिक कार्यक्रम में आनंदन शिवमणि एवं दल तथा हंसराज रघुवंशी की सांगीतिक प्रस्तुति होगी। इसी क्रम में विक्रम व्यापार मेला, वस्त्रोद्योग, हाथकरघा उपकरणों की प्रदर्शनी, आदि शिल्प अंतर्गत जनजातीय शिल्प, पारम्परिक व्यंजन एवं जनजातीय परंपरागत चिकित्सा शिविर का आयोजन होगा। निदेशक ने बताया कि विक्रमोत्सव 2025 एक इवेंट नहीं है यह लोक समाज के लिए पर्व बन चुका है। 26 फरवरी से 30 जून 2024 तक आयोजित यह समारोह देश-प्रदेश की सांस्कृतिक दुनिया का सबसे लंबी अवधि तक चलने वाला आयोजन है। विक्रमोत्सव में जनजातीय शिल्प, पारम्परिक व्यंजन, जनजातीय परंपरागत चिकित्सा शिविर, प्रदर्शनी, वेद अंताक्षरी, संगीत, नृत्य, नाटक, चित्र, मूर्तिकला, पौराणिक फिल्मों का अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव, राष्ट्रीय विज्ञान समागम, अंतर्राष्ट्रीय इतिहास समागम, भारतीय बोलियों व हिन्दी भाषाई अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, शोध परक पुस्तकों के प्रकाशन तो इसमें शामिल है ही साथ ही भारतीय कालगणना की प्राचीनतम, प्रामाणिक एवं विश्वसनीय पद्धति पर आधारित विक्रमादित्य वैदिक घड़ी के एप का लोकार्पण भी किया जा रहा है। इसके अलावा सबसे अलंकरण समारोह भी आयोजित होगा। जिसमें मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा सम्मान सम्राट विक्रमादित्य राष्ट्रीय सम्मान एवं तीन राज्य स्तरीय सम्राट विक्रमादित्य शिखर सम्मान प्रदान किये जायेंगे। निदेशक ने कहा कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक तथा सम्राट विक्रमादित्य और उनके युग के ऐतिहासिक महत्व को पुनः जीवंत करने के उद्देश्य से 18 वर्ष पूर्व एक दिवसीय आयोजन के रूप में प्रारंभ हुआ विक्रमोत्सव, आज 125 दिनों तक आयोजित होने वाला एक भव्य, बहुआयामी और अंतर्राष्ट्रीय उत्सव का स्वरूप ले चुका है। संभवतः इतनी लंबी अवधि तक चलने वाला यह विश्व का एकमात्र उत्सव है। विगत वर्षों में विक्रमोत्सव ने देश के सांस्कृतिक क्षेत्र में अपनी उत्सवधर्मी पहचान को बखूबी स्थापित किया है। विक्रमोत्सव ने समय के साथ नवाचार और विविधता का समावेश करते हुए न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी अपनी पहचान स्थापित की है।