आस्था के साथ धूमधाम से निकली बाबा महाकाल की शाही सवारी, भगवान महाकाल ने सात दिव्य स्वरूपों में दिए भक्तों को दर्शन
उज्जैन - सोमवार को राजाधिराज बाबा महाकाल की शाही सवारी धूमधाम के साथ निकाली गई। सवारी आरंभ होने से पहले महाकाल मंदिर के सभामंडप में भगवान महाकाल का विधि विधान से पूजन किया गया। उज्जैन के संभाग आयुक्त और आईजी ने सपत्नि पूजन में हिस्सा लिया। पूजन के बाद जैसे ही पालकी बाहर आई, तो पुलिस बल द्वारा पूरे राजकीय सम्मान के साथ भगवान महाकाल को सलामी दी गई। यहां से देवाधि देव महादेव रजत पालकी में सवार होकर नगर भ्रमण के लिए निकले। भादौं मास की अंतिम सवारी का अंदाज भी राजसी था और यात्रा मार्ग भी लम्बा। शंख ध्वनि, डमरू की डमडम, डोल-मंजीरे और जय महाकाल का उद्घोष पूरे माहौल को शिवमय कर रहा था। महाकाल की शाही सवारी में 70 भजन मंडलियां, जनजातीय कलाकारों का दल, आधादर्जन बैंड, पुलिस बैंड, पुलिस सशस्त्र बल के अतिरिक्त बहरूपियों की टोली सम्मिलित हुई। सवारी की लंबाई सवा से डेढ़ किलोमीटर थी।
लाखों श्रद्धालुओं ने किए दर्शन
सवारी दर्शन के लिए उज्जैन सहित आसपास के क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन आए थेत्र जो अपने आराध्य महाकाल की एक झलक पाने के लिए आतुर दिखाई दिए। सवारी आरंभ होने से घंटों पहले लोग भगवान के दर्शनों के लिए मार्ग पर टकटकी लागए खड़े होने लगे थे। अपने आराध्य के दर्शन मात्र से भक्तजननों ने स्वयं को धन्य किया।
केन्द्रीय मंत्री सिंधिया ने किया पूजन
ऐसा जाता है कि सवारी की परम्परा सिंधिया राजवंश द्वारा प्रारम्भ की गई थी और इसी कारण भादौं पक्ष में भी सवारी की परम्परा शुरू की गई। तभी से राजसी परम्परा अनुसार अंतिम सवारी पर सिंधिया राजघराने का कोई न कोई सदस्य उज्जैन आकर भगवान महाकाल का पूजन करता है। ये परम्परा वर्षों से चली आ रही है। इसी परम्परा का निर्वहन करते हुए केन्द्रीय मंत्री ज्योर्तिरादित्य सिंधिया ने राजाधिराज बाबा महाकाल का पूजन किया।
सात दिव्य स्वरूपों में दिए दर्शन
श्रावण भादौं मास के दौरान जितनी बार भगवान महाकाल नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं, प्रजा को भगवान के उतने ही स्वरूपों के दर्शन का लाभ मिलता है। प्रत्येक सवारी के साथ एक स्परूप की वृद्धि होती है। जितनी प्रतिमाएं सवारी में निकाली जाती हैं, वे सभी भगवान शिव के ही साकार स्वरूप होते हैं। सोमवार को निकली सवारी में भगवान महाकाल ने सात स्वरूपों में दर्शन दिए। रजत पालकी में चन्द्रमौलेश्वर, गरूड़ रथ पर शिवतांडव, नन्दी रथ पर उमा-महेश, डोल रथ पर होल्कर मुखौटा, फिर घटाटोप स्वरूप, उसके बाद सप्तधान मुखौटा और अंत में हाथी पर मनमहेश स्वरूप में दर्शन देकर अपने भक्तों को धन्य किया।
सुरक्षा के रहे पुख्ता इंतजाम
महाकाल भगवान की राजसी सवारी को लेकर प्रशासनिक स्तर पर कड़े सुरक्षा प्रबंध किए गए थे। जिले कलेक्टर नीरज सिंह और एसपी प्रदीप शर्मा स्वयं सुरक्षा कमान पर निगरानी रख रहे थे। अधिकारियों का कहना था कि पूरे सवारी मार्ग पर बैरिकेडिंग की गई है। श्रद्धालुजनों की सुरक्षा के लिए 1500 से अधिक का बल तैनात किया गया है, जिसमें पुलिस आरक्षकों के अलावा प्रशासन के अधिकारी भी शामिल हैं। ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों से पूरी सवारी पर नजर रखी जाएगी।
हेलीकॉप्टर से हुई पुष्पवर्षा
सवारी के दौरान भगवान महाकाल का स्वागत करने के लिए आसमान में हेलीकॉप्टर उड़ाया गया और उससे पुष्पवर्षा भी की गई। आम श्रद्धालुजनों ने भी इस खास नजारे को देखकर खुशी व्यक्त की।
हरि से मिले हर
शाही सवारी के दौरान महाकाल की पालकी के गोपाल मंदिर पहुंचने पर सिंधिया ट्रस्ट की ओर से भगवान की आरती उतारी गई। और पूजन के माध्यम से दोनों देवों का मिलन करवाया गया।