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आत्मा का पोषण है अल्पविराम : डॉ. प्रवीण जोशी


उज्जैन- आनंद की और, जीवन का लेखा जोखा, मेरे रिश्ते एवं चिंता का दायरा प्रभाव का दायरा और फ्रीडम ग्लास यह टूल्स राज्य आनंद संस्थान द्वारा अपने आनंद को मापने के लिए है लेकिन आत्मा का पोषण अल्पविराम है। हम अल्पविराम के माध्यम से स्वयं से जुड़कर, स्वयं को जानने और ईमानदारी से शांतिमय, आनन्दमय, प्रकृति के साथ जीवन जीने की प्रक्रिया को समझ सकते हैं। यह बात कही तीन दिवसीय अल्पविराम प्रशिक्षण कार्यशाला के समापन पर आनंद विभाग उज्जैन जिले के समन्वयक उप डॉ. प्रवीण जोशी ने। राज्य आनंद संस्थान भोपाल द्वारा विभिन्न शासकीय विभागों के अधिकारी कर्मचारियों के लिए तीन दिवसीय अल्पविराम प्रशिक्षण कार्यशाला पुलिस प्रशिक्षण शाला मक्सी रोड़ पर शुरु की गई है। दिनांक 13 से 15 फरवरी तक चली इस कार्यशाला में स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, राजस्व विभाग और पंचायत विभाग के शासकीय सेवक उपस्थित रहे। आगे डॉ. जोशी ने बताया कि स्वयं की , स्वयं के प्रति गहरी समझ बढ़ाने के साथ-साथ, स्वयं को जानने के अभ्यास, अल्पविराम, आत्मपोषण एवं शांत समय के द्वारा कराए गए।कार्यक्रम के सत्र में देवास से डॉ. समीरा नईम, बुरहानपुर से संजय गुप्ता, नीमच से कमलाशंकर विश्वकर्मा और उज्जैन से सी. पी. जोशी मास्टर ट्रेनर पूरे समय उपस्थित रहे। उन्होंने प्रतिभागियों को मार्गदर्शन करते हुए कहा कि प्रकृति के साथ रहकर रहने से ही मन शांत हो जाता है, जिससे स्वयं को जानने की समझ विकसित होती है, हम तनाव मुक्त होते हैं। कार्यशाला के दौरान अलग अलग प्रकार के आईस ब्रेकर के माध्यम से सामाजिक, सहयोग और समरसता के आनंद का संदेश भी दिया गया। पुलिस प्रशिक्षण शाला के निरीक्षक श्री गजेंद्र पंचारिया द्वारा साइबर क्राइम पर विशेष सत्र लिया गया, जिसमें पूर्व आईपीएस आर.सी. पंवार उपस्थित थे। सफल कार्यशाला में उज्जैन के आनंदम सहयोगी राजेश शर्मा का विशेष सहयोग रहा। आभार नितिन अमलावद ने माना।

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