शिव नवरात्रि के दूसरे दिन भगवान श्री महाकालेश्वर ने दिव्य रूप में भक्तों को दिये दर्शन
शिव नवरात्रि के दूसरे दिन भगवान श्री महाकालेश्वर ने दिव्य रूप में भक्तों को दिये दर्शन
उज्जैन 18 फरवरी 2025 । संहार शक्ति व तमोगुण के अधिष्टाता सदाशिव की रात्रि महाशिवरात्रि महापर्व शिव आराधना की सर्वश्रेष्ठ रात्रि मानी जाती है क्योंकि, चतुर्दशी के स्वामी स्वयं शिव है। सनातन धर्म में 12 माह की 12 शिवरात्रियां होती है | जिसमे फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की रात्रि महाशिवरात्रि के नाम से प्रसिद्ध है।
श्री महाकालेश्वर मंदिर में शिवनवरात्रि का उत्सव बड़ी धूम-धाम व उल्हास के साथ मनाया जाता है। इस दौरान श्री महाकालेश्वर भगवान 18 फरवरी 2025 मंगलवार को श्री महाकालेश्वर भगवान दिव्य श्रृंगार में भक्तो को दर्शन देंगे । 17 फरवरी के 25 फरवरी 2025 शिव नवरात्रि तक अलग-अलग नौ रूपों में श्रद्धालुओं को दर्शन देंगे।
शिव नवरात्रि महोत्सव के दूसरे दिवस का प्रारम्भ श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रांगण स्थित कोटितीर्थ के तट पर प्रात: 08 बजे से श्री गणेश पूजन व श्री कोटेश्वर महादेव भगवान का पूजन-अभिषेक-आरती के साथ हुआ। श्री महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य पुजारी श्री घनश्याम शर्मा के आचार्यत्व में 11 ब्राम्हणों द्वारा श्री महाकालेश्वर भगवान जी का अभिषेक एकादश-एकादशनी रूद्रपाठ से किया गया । पूजन का यह क्रम 25 फरवरी 2025 तक प्रतिदिन चलेगा | अपराह्न में 3 बजे सांध्य पंचामृत पूजन के पश्चात श्री महाकालेश्वर भगवान का पुजारी भारत शर्मा द्वारा दिव्य श्रृंगार किया गया |
शिव नवरात्रि के दूसरे दिन संध्या पूजन के पश्चात भगवान श्री महाकालेश्वर ने दिव्य रूप में भक्तों को दर्शन दिये। भगवान श्री महाकालेश्वर को के नवीन वस्त्र के साथ मेखला, दुप्पटा, मुकुट, मुंड-माला, छत्र आदि से सुसज्जित कर भगवान जी का भांग, चंदन व सूखे मेंवे से श्रृंगार किया गया। साथ ही भगवान श्री महाकालेश्वर को मुकुट, मुण्ड माला, नागकुंडल एवं फलों की माला के साथ दिव्य श्रृंगार किया गया ।
फाल्गुन कृष्ण सप्तमी बुधवार 19 फरवरी 2025 को श्री महाकालेश्वर भगवान का चन्दन व भांग का श्रृंगार कर बाबा को शेषनाग धारण करवाया जायेगा |
श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा इस वर्ष नौ दिवसीय नारदीय कीर्तन हेतु पुणे से राष्ट्रीय कीर्तनकार आयुर्वेदाचार्य डॉ.अजय अपामार्जने को आमंत्रित किया गया है | देवर्षि नारदजी खड़े होकर करतल ध्वनि व वीणा के साथ हरि नाम कीर्तन करते हैं। इसलिए कीर्तन की इस पद्धति को नारदीय कीर्तन कहा जाता है | श्री महाकालेश्वर मंदिर में यह परंपरा विगत 115 वर्षों से भी अधिक समय से चलती आ रही है।
18 फरवरी 2025 से डॉ. अजय अपामार्जने की नौ दिवसीय कथा का प्रारंभ हुवा | शिव कथा, हरि कीर्तन का आयोजन सायं 04:30 से 06 बजे तक मन्दिर परिसर मे नवग्रह मन्दिर के पास संगमरमर के चबूतरे पर किया गया |
हरिकीर्तन के प्रथम दिवस डॉ. अपामर्जने ने राम-कृष्ण-हरि के कीर्तन पश्यात श्री गणपति भगवान की कथाओ का वर्णन किया । तबला पर संगत श्री श्रीधर व्यास ने की।