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शाही सवारी के चल समारोह का स्वरुप इस प्रकार रहेगा


उज्जैन- श्री महाकालेश्वर भगवान की प्रमुख सवारी (शाही सवारी) के चल समारोह में सबसे आगे मंदिर का
प्रचार वाहन चलेगा| उसके बाद यातायात पुलिस, तोपची, भगवान श्री महाकालेश्वर का रजत ध्वज,
घुडसवार, विशेष सशस्त्र बल सलामी गार्ड, स्काउट/गाइड सदस्य, कांग्रेस सेवा दल, सेवा समिति बैंड के बाद

उज्जैन के अतिरिक्त मध्यप्रदेश के विभिन्न शहरो से परंपरागत रूप से सवारी सम्मिलित होने वाली  70
भजन मंडलियां चल समारोह में प्रभु का गुणगान करते हुए व अपनी सेवाए देती हुई चलेंगी | 70 भजन
मंडलियों के बाद नगर के साधू-संत व गणमान्य नागरिक, पुलिस बैंड, नगर सेना के सलामी गार्ड की टुकड़ी,
श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी व पुरोहितगण सवारी के साथ रहेगे| उनके बाद श्री महाकालेश्वर भगवान
(श्री चंद्रमौलेश्वर) की प्रमुख पालकी, भारत बैंड, श्री गरुड़ रथ पर श्री शिव-तांडव, रमेश बैंड, नंदी रथ पर श्री
उमा महेश स्वरुप, गणेश बैंड, रथ पर श्री होल्कर स्टेट मुखारविंद, आर.के.बैंड, रथ पर श्री घटाटोप, रथ पर
श्री सप्तधान मुखारविंद के पश्यात राजकाल म्युजिकल ग्रुप बैंड व श्री मनमहेश स्वरुप हाथी पर विराजित
होंगे| 
सवारी के साथ एम्बुलेंस, विद्युत मंडल का वाहन, फायर ब्रिगेड आदि भी सुरक्षा की दृष्टि से
सम्पूर्ण सवारी मार्ग में साथ मे चलेगे | साथ ही सवारी मार्ग ओर अलग-अलग स्थानों पर भी व्यवस्था
रहेगी|
मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिले का आदिवासी धुलिया जनजाति गुदुम बाजा लोक नर्तक दल श्री
महाकालेश्वर भगवान की सप्तम सवारी में सम्मिलित होंगे।
श्री महाकालेश्वर भगवान की सातवे सोमवार की सवारी में भी प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव
की मंशानुरूप जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी मप्र संस्कृति परिषद के माध्यम से भगवान
श्री महाकालेश्वर की सवारी में जनजातीय कलाकारों का दल भी सहभागिता करेगा।
शाही सवारी में मध्यप्रदेश के लालपुर, डिंडोरी जिले का आदिवासी धुलिया जनजाति गुदुम बाजा
लोक नर्तक दल श्री दिनेश कुमार भार्वे के नेतृत्व में पालकी के आगे भजन मंडलियों के साथ अपनी प्रस्तुति
देते हुए चलेगा। गुदुम बाजा मध्य प्रदेश के डिंडोरी, मंडला, शहडोल आदि जिलों में रहने वाले जनजातियों
का अत्यन्त पारम्परिक वाद्य है | गुदुम बाजा वाद्य के साथ किये जाने वाले मध्यप्रदेश के गौंड
जनजातियों के नृत्य और भी आकर्षक लगते है | गुदुम बाजा जनजातीय समाज के मांगलिक उत्सवों, मडई
मेला, धार्मिक उत्सवों इत्यादि अवसरों पर धुलिया जनजाति के पुरुष वर्ग द्वारा बजाया जाता है।

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