साल के आखिर तक मिल सकती है इन 3 बैंकों के विलय को मंजूरी
बैंक ऑफ बड़ौदा, विजया बैंक और देना बैंक के विलय की योजना को इस महीने के आखिर तक अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है. अनिवार्य प्रक्रिया के तहत विलय योजना को संसद में प्रस्तुत किया जाएगा. संसद का मौजूदा सत्र आठ जनवरी तक चलेगा. सूत्रों के मुताबिक योजना पर काम चल रहा है और उसके बाद बैंकों के निदेशक मंडल उनकी समीक्षा करेंगे.
सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सहयोग के लिए पहले ही कोष उपलब्ध कराने की बात कह चुकी है. सरकार को उम्मीद है कि तीन बैंकों के विलय से अस्तित्व में आने वाला बैंक अगले वित्त वर्ष से काम करना शुरू कर देगा. विजया बैंक और देना बैंक के बैंक ऑफ बड़ौदा में प्रस्तावित विलय के खिलाफ निजी क्षेत्र के बैंकों सहित विभिन्न बैंकों के करीब 10 लाख कर्मचारी 26 दिसंबर को एक दिन की हड़ताल पर रहेंगे.
बता दें, सरकार ने सितंबर में सार्वजनिक क्षेत्र के विजया बैंक और देना बैंक का रिजर्व बैंक की त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) रूपरेखा के तहत बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय करने की घोषणा की थी, इससे देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक अस्तित्व में आएगा. यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) ने कहा कि यह विलय बैंक या बैंक ग्राहकों के हित में नहीं है, वास्तव में इससे दोनों को नुकसान होगा.
यूएफबीयू 9 बैंक यूनियनों का संगठन है, इसमें ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन, ऑल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन और नेशनल आर्गेनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स आदि यूनियनें शामिल हैं.
यूनियनों का दावा है कि सरकार विलय के जरिये बैंकों का आकार बढ़ाना चाहती है. लेकिन अगर सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को भी मिलाकर एक कर दिया जाए तो भी विलय के बाद अस्तित्व में आई इकाई को दुनिया के शीर्ष दस बैंकों में स्थान नहीं मिलेगा. यूनियनों द्वारा 26 दिसंबर को रैली निकाली जाएगी और दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा.