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महाकाल में वसूली के आरोपी दो दिन की रिमांड पर


महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं से दर्शन के नाम पर रुपए की वसूली करने और मंदिर की आय को अपनी जेब में डालने वाले दो कर्मचारियों को पुलिस ने पिछले दिनों आरोपी बनाया था। महाकाल थाना पुलिस ने दोनों आरोपियों के खिलाफ अमानत में खयानत सहित कई धाराओं में मामला दर्ज कर गिरफ्तार किया। मंगलवार को पुलिस ने आरोपियों को कोर्ट में पेश किया, जहां दोनों को दो दिन की पुलिस रिमांड पर सौंप दिया गया।

इसी बीच, कोर्ट के बाहर दोनों आरोपियों ने खुद को निर्दोष बताया और कहा कि वे किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधि में शामिल नहीं हैं।

2 दिन की रिमांड पर भेजे गए आरोपी

पुलिस रिमांड खत्म होने के बाद मंगलवार को आरोपी राकेश श्रीवास्तव और विनोद चौकसे को फिर से उज्जैन कोर्ट में पेश किया गया। पुलिस ने जांच के लिए पांच दिन का रिमांड मांगा, लेकिन आरोपियों के वकील वीरेंद्र शर्मा ने इसका विरोध किया।

वकील ने कहा कि गुरुवार से ही दोनों को थाने में रखा गया है और पुलिस अब और रिमांड मांग रही है। उन्होंने कोर्ट से थाने की सीसीटीवी रिकॉर्डिंग उपलब्ध कराने की मांग की। फिलहाल कोर्ट ने दोनों आरोपियों को दो दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है।

आरोपियों ने कहा: बाबा महाकाल की कृपा से सब अच्छा होगा

कोर्ट में पेशी के दौरान आरोपी राकेश श्रीवास्तव और विनोद चौकसे ने खुद को बेगुनाह बताते हुए कहा कि उन्होंने किसी भी राशि का लेन-देन नहीं किया है। विनोद चौकसे ने कहा कि सब महाकाल देख रहे हैं। बाबा महाकाल की कृपा है, समय आने पर सब अच्छा होगा।

बड़े अधिकारी पर कार्रवाई की संभावना

मामले की जानकारी देते हुए कलेक्टर नीरज सिंह ने बताया कि मंदिर की आय में लगातार कमी के बाद जांच की गई थी और शासन को एक प्रतिवेदन भेजा गया है। हालांकि, कलेक्टर ने यह स्पष्ट नहीं किया कि प्रतिवेदन किसके खिलाफ है।

सूत्रों के अनुसार, यह प्रतिवेदन मंदिर के एक वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ भेजा गया है। संभावना है कि भोपाल स्तर पर कार्रवाई के बाद मंदिर से जुड़े बड़े अधिकारी पर गाज गिर सकती है।

ऐसे करते थे घोटाला

महाकाल मंदिर में प्रोटोकॉल दर्शन के तहत न्यायालय अधिकारियों, मीडिया, जनप्रतिनिधियों और अन्य वीआईपी भक्तों को नंदी हॉल तक जाने की अनुमति मंदिर कार्यालय से दी जाती है। सामान्य दर्शनार्थियों को 250 रुपए की रसीद के माध्यम से बिना लाइन दर्शन की सुविधा मिलती है। इसी व्यवस्था का फायदा उठाकर मंदिर के कर्मचारी ठगी को अंजाम देते थे।

कर्मचारी पहले भक्तों को नंदी हॉल से विशेष दर्शन और जल चढ़ाने का झांसा देकर पुजारी और पुरोहित से मिलवाते थे। इसके बाद, प्रत्येक भक्त से 1100 से 2000 रुपए तक वसूले जाते थे। जबकि यह राशि मंदिर समिति को जानी चाहिए थी, इसे कर्मचारियों ने खुद हड़प लिया।

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