उपभोक्ताओं के लिए इस तरह फायदेमंद है बिल, सेलिब्रिटी नहीं कर सकेंगे भ्रामक विज्ञापनों का प्रचार
नई दिल्ली। भ्रामक विज्ञापन देने वाली कंपनियों पर अब शिकंजा कसेगा। जो सेलिब्रिटी ऐसे विज्ञापन करेंगे, उनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी। गुरुवार को लोकसभा में लंबे समय से अटका उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, 2018 पारित होने के साथ ही इसका रास्ता साफ हो गया। इस विधेयक में भ्रामक विज्ञापन के साथ मिलावटखोरी पर भी लगाम लगाने के प्रावधान है। इससे ग्राहकों के हितों की सुरक्षा हो सकेगी।
यह विधेयक जनवरी, 2018 के दौरान लोकसभा में पेश किया गया था। इसमें प्रावधान है कि यदि कोई कंपनी भ्रामक विज्ञापन देने के मामले में दोषी पाई जाती है तो पहली बार गलती करने पर 2 साल की जेल और 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। यदि दूसरी बार गलती पाई गई तो 5 साल की जेल और 50 लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान है। हालांकि सेलिब्रिटी जेल की सजा के दायरे में नहीं आएंगे, लेकिन उन पर जुर्माना लगाया जाएगा। वैसे संसद की स्थायी समिति ने भ्रामक विज्ञापनों में दिखने वाले सेलिब्रिटिज को भी जेल की सजा की सिफारिश की थी, लेकिन इसमें केवल जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
घर से शिकायत करने की सुविधा
पहले ग्राहकों को वहां जाकर शिकायत करनी होती थी, जहां से उसने सामान खरीदा होता था, लेकिन अब घर से ही शिकायत की जा सकेगी। इसके अलावा विधेयक में मध्यस्थता का भी प्रावधान है। नए विधेयक में प्रावधान है कि यदि जिला और राज्य उपभोक्ता फोरम उपभोक्ता के हित में फैसला सुनाते हैं तो आरोपी कंपनी राष्ट्रीय फोरम में नहीं जा सकती। इस प्रावधान के कारण मामले लंबे समय तक लटकने से बच जाएंगे और कंपनियां ऐसे विज्ञापनों से दूर रहेंगी।
मौजूदा व्यवस्था के तहत यदि कोई कंपनी भ्रामक विज्ञापन देने का दोषी पाई जाती है तो ऐसी स्थिति में केवल कंपनी के खिलाफ कार्रवाई होती है, लेकिन ऐसे विज्ञापनों में शामिल सेलिब्रिटी पर कोई कार्रवाई का प्रावधान नहीं है। नए कानून में सेलिब्रिटी की भी जिम्मेदारी तय की गई है। ऐसा करने से ऐसे विज्ञापनों की तादाद कम हो सकती है।
यह भी हैं फायदे
बिल उपभोक्ता अधिकारों को बढ़ावा देने, उनका संरक्षण करने और उन्हें लागू करने के लिए केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण अथॉरिटी का गठन करता है। अथॉरिटी वस्तुओं और सेवाओं के लिए सेफ्टी नोटिस जारी कर सकती है, रीफंड का आदेश दे सकती है, वस्तुओं को रीकॉल कर सकती है और भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ नियम बना सकती है। अगर खराब वस्तु या दोषपूर्ण सेवा से किसी उपभोक्ता को कोई नुकसान होता है, तो वह मैन्यूफैक्चरर, विक्रेता या सर्विस प्रोवाइडर के खिलाफ उत्पाद दायित्व (प्रॉडक्ट लायबिलिटी) का दावा कर सकता है।