देश में बढ़ रही टीबी के मरीजों की संख्या, 18 लाख से अधिक लोगों को टीबी की बीमारी
नई दिल्ली: सरकार ने उच्च सदन को बताया कि वर्ष 2018 में नवंबर तक देश में टीबी के रोगियों की संख्या बढ़कर 18.62 लाख हो गई है. गत वर्ष यह आंकड़ा 18.27 लाख था. स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में मंगलवार को बताया कि मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी का कारण जल्दी शिनाख्त करने वाली जांच व्यवस्था के विस्तार तथा निजी क्षेत्र और सामुदायिक भागीदारी वाले संस्थानों में देखभाल के इच्छुक मरीजों के साथ जुड़ना है.
मंत्री ने कहा कि मंत्रालय 2025 तक तपेदिक (टीबी) को खत्म करने के लक्ष्य के साथ मंत्रालय ने क्षय रोग (2017-2025) के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (एनएसपी) विकसित की है. मंत्री ने कहा कि प्रमुख रूप से ध्यान वाले क्षेत्रों में- सभी टीबी मरीजों की यथाशीघ्र जांच, उपयुक्त मरीज सहायता प्रणाली के साथ गुणवत्ता वाली दवाओं और उपचार व्यवस्था मुहैया कराना आदि शामिल है.
भारत में पाए जाते हैं सबसे अधिक मल्टी-ड्रग रेजिस्टेन्ट टीबी के मामले
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2017 में भारत में मल्टी-ड्रग रेज़िस्टेन्ट टीबी (एमडीआर-टीबी) के 24 प्रतिशत मामले हैं, जो दुनिया में सबसे ज्यादा हैं. इसके बाद चीन में 13 प्रतिशत और रूस में 10 फीसदी इस तरह के मामले हैं. इन तीन देशों में विश्व के एमडीआर-टीबी के करीब आधे मामले हैं. संगठन ने कहा कि वैश्विक प्रयासों से वर्ष 2000 के बाद से टीबी से अनुमानित 5.4 करोड़ लोगों की जान बची है, लेकिन यह बीमारी दुनिया में सबसे संक्रामक बनी हुई है.
टीबी के मामलों की 30 देशों की लिस्ट में भारत शीर्ष पर
भारत उन 30 देशों में शीर्ष पर है, जहां टीबी के मामले ज्यादा हैं. पिछले साल टीबी से ग्रस्त एक करोड़ लोगों में से 27 प्रतिशत भारत के थे. रिपोर्ट के मुताबिक, टीबी होने की जानकारी न देना या टीबी की सही जांच न हो पाना एक बड़ी चुनौती है. 2017 में टीबी से बीमार होने वाले एक करोड़ लोगों में से केवल 64 लाख लोगों के टीबी से बीमार होने के आधिकारिक आंकड़े दर्ज हुए. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत, इंडोनेशिया और नाइजीरिया सूची में शीर्ष पर हैं.