संविधान दिवस ( 26 नवंबर) : इस तरह हुआ था भारत के संविधान का निर्माण
आज से 69 साल पहले सरकार ने 26 नवंबर 1949 को भारत के संविधान को अपनाया था, जिसे लोकतांत्रिक सरकार की प्रणाली के साथ 26 जनवरी 1950 को लागू किया था. संविधान के मूल्यों, मान्यताओं और परंपराओं की वो पवित्र किताब है जिसके एक एक शब्द में हम भारत के लोग अपने लिए सुरक्षित वर्तमान और सुनहरा भविष्य ढूंढ़ते हैं.
आइए जानते हैं इससे जुड़ी खास बातें:
- संविधान ड्राफ्ट करने के इस ऐतिहासिक कार्य को पूरा करने में संविधान सभी को 2 साल, 11 महीने और 17 दिन लगे थे.
- संविधान की खास बात ये है कि अधिकार और कर्तव्य यानी 'Rights and Duites' के बारे में विस्तार से वर्णन किया गया है.
- संविधान सभा के बारे में बात करते हुए डॉ. बाबा अंबेडकर का योगदान कभी नहीं भुलाया जा सकता जो संविधान सभा के केंद्र में रहे. उन्हें भारत के संविधान निर्माता के रूप में जाना जाता है.
- बता दें, संविधान सभा के सदस्य भारत के राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा चुने गए थे. जवाहरलाल नेहरू, डॉ भीमराव अम्बेडकर, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि इस सभा के प्रमुख सदस्य थे.
- मसौदा लिखने वाली समिति ने संविधान हिंदी, अंग्रेजी में हाथ से लिखकर कैलिग्राफ किया था और इसमें कोई टाइपिंग या प्रिंटिंग शामिल नहीं थी.
- 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूची, 5 परिशिष्ट और 100 संसोधनों के साथ दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है.
- संविधान सभा के 284 सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 को दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए. दो दिन बाद इसे लागू किया गया था.
संविधान में संशोधन...
संशोधन के प्रस्ताव की शुरुआत संसद में होती है जहां इसे एक बिल के रूप में पेश किया जाता है. इसके बाद इसे संसद के प्रत्येक सदन के द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए. प्रत्येक सदन में (1) इसे उपस्थित सांसदों का दो तिहाई बहुमत और मतदान प्राप्त होना चाहिए और (2) सभी सदस्यों (उपस्थित या अनुपस्थित) का साधारण बहुमत प्राप्त होना चाहिए. इसके बाद विशिष्ट संशोधनों को कम से कम आधे राज्यों की विधायिकाओं के द्वारा भी अनुमोदित किया जाना चाहिए. एक बार जब सभी अन्य अवस्थाएं पूरी कर ली जाती हैं, संशोधन के लिए भारत के राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त की जाती है, परन्तु यह अंतिम प्रावस्था केवल एक औपचारिकता ही है.