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आजीवन जेल की सजा काट रहे कैदी यहॉं बेच रहे पकौड़े, पर्यटकों को भी खूब भा रहा है इनका स्‍वाद



दुनिया सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनने के बाद यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में लगाता इजाफा हो रहा है. ऐसे में टूरिस्टों के खान-पान की चिंता प्रशासन के साथ साथ पुलिस विभाग को भी है. इसीलिए यहां पार्किंग एरिया में एक फूड कोर्ट बनाया गया है. ये फूड कोर्ट खाने पीने की आम जगहों जैसा ही है लेकिन इसकी खास बात ये है कि यहां एक स्टॉल में जेल उम्र कैद की सजा काट रहे कैदियों द्वारा पकौड़े बेचे जाते है. ये कैदी अहमदाबाद, वडोदरा और राजपीपला की जेल में सजा काट रहे है. इन कैदियों के द्वारा बनाए गए पकौड़े पर्यटकों को खूब पसंद आ रहे हैं.

दरअसल सरकार की योजना के मुताबिक कैदी एक बेहतर जीवन जी सके इसके लिए उन्हें जेल में ही व्यवसाय सीखाया जाता है. जिसमें उनसे खाने पीने की चीजे बनाना भी सिखाया जाता है.  खाने पीने की चीजें बनाने वाले कैदी व्यवसाय सीखकर पैसे कमाने के साथ साथ नाम भी कमा रहे है.

गुजरात के अहमदाबाद में साबरमती जेल के कैदियों द्वारा बनाए जाने वाले "जेल ना भजीया" यानि जेल के पकौड़े  काफी मशहूर है. उसी से प्रेरणा लेकर ही स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के पास भजिया हाउस खोला गया है. जहां गुजरात के राजपीपला के 3, अहमदाबाद के 5 और वडोदरा के 5 कैदियों पकौड़ा बनाकर पर्यटकों को खिलाया जाता है.

यहां के संचालक और वडोदरा के पुलिस कांस्टेबल के मुताबिक जिन कैदियों का बर्ताव अच्छा हो और जिनकी सजा में एक या दो साल ही बाकी हो वैसे आजीवन कैद के कैदी को जेल में ही इस काम के लिए तालीम दी जाती है. जिस कैदी की रुचि हो उसे ये काम दिया जाता है. यहां स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के पास गुजरात के वडोदरा के 5 , अहमदाबाद के 5 और राजपीपला के 3 कैदी द्वारा अलग अलग आलू, प्याज, मिर्च, पालक-मेथी के पकौडे बनाकर बेचे जाते है. 

इन कैदियों को सुबह 9 से शाम 6 तक यहां रखा जाता है. पूरी सुरक्षा के साथ उनको यहां लाया जाता है, रात को उन्हें राजपीपला जेल में ले जाया जाता है. उनके द्वारा पकौड़े बनाकर जो आमदनी तय होती है उसमें से जो वेतन उनके लिए तय हुआ है उसको उनके बैंक के अकाउंट में डाला जाता. ये रकम उनकी सजा खत्म होने के बाद उन्हें दी जाएगी. वडोदरा के 2 पुलिस कांस्टेबल उनकी निगरानी रखते है.

यहां काम करने वाले कैदी भी काफी खुशी से ये काम करते है. उनका कहना है कि ये काम अहमदाबाद और वडोदरा में सीखा था. यहां आनेवाले पर्यटक हमारे पकौड़े खाकर संतुष्ट होते है वो हमारे लिए काफी अच्छी बात है. यहां आनेवाले पर्यटक भी खुशी के साथ सरकार के द्वारा किए गए इस काम की सरहाना करते है.

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