इस पेड़ से आती है तीखी गंध, लोग कहते है शैतान का पेड़
नीमच। एक गंध नीमच को मदहोश और बीमार करती है। इस खुशबू को समेटे फूल जिस पेड़ पर खिलता है, शहर इसे शैतान का पेड़ कहता है और उनसे मुक्ति दिलाने की मांग करता है। बीमार करने वाले इन पेड़ों की शिकायत कलेक्टर, नगर पालिका अध्यक्ष, सीएमओ और सीएमएचओ तक भी पहुंची है।
आवेदन में मांग की गई है कि शहर के जिन क्षेत्रों में शैतान के पेड़ लगे हैं, इन्हें तत्काल हटाया जाए। हालांकि अफसरों को इस पेड़ से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ने का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं मिल रहा है। जांच का आश्वासन देकर लोगों को शांत कराने की कोशिश की गई है। छत्तीसगढ़ के रायपुर में भी जुलाई-अगस्त माह में इन पेड़ों का विरोध किया गया था।
नीमच में इन पेड़ों की संख्या 500 से ज्यादा है। अंग्रेजों के बसाए छावनी इलाके, टैगोर मार्ग, गांधी वाटिका रोड, विजय टॉकीज चौराहा, वीर पार्क रोड, सीआरपीएफ रोड, गोमा बाई हॉस्पिटल रोड, जिला अस्पताल रोड, हुडको कॉलोनी, बंगला नंबर 20, 25, 35 व 36 सहित अन्य क्षेत्रों में सड़क किनारे ये पेड़ लगे हुए हैं।
सूर्यास्त के बाद तेज गंध निकलती है
लोगों का कहना है सूर्यास्त के बाद पेड़ से विशेष प्रकार के रसायन युक्त तेज गंध निकलती है। इससे आसपास के क्षेत्र के नागरिकों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। लगातार संपर्क में रहने से लोगों को एलर्जी, सर्दी-जुकाम, खांसी, बुखार और अस्थमा की समस्या हो रही है।
- राजेंद्र जारोली, शिकायतकर्ता व समाजसेवी
कोई परेशानी नहीं, पिछले साल दी थी रिपोर्ट
अल्स्टोनिया स्कॉलरिस पेड़ को शैतान का पेड़ कहना गलत है। इसे सामान्य बोलचाल की भाषा में लोग सप्तपर्णी या पंचपर्णी पेड़ कहते हैं। यह सालभर छांव देने वाला पेड़ है। सिर्फ इस पेड़ में परागण की प्रक्रिया हवा द्वारा होती है। इससे हल्की महक आती है। इस पेड़ का मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के कोई प्रमाण नहीं हैं। एक साल पहले भी कुछ लोगों ने इन पेड़ों के संबंध में शिकायत की थी।
-डॉ. सीपी पचौरी, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र, नीमच (वनस्पति शास्त्र के विशेषज्ञ)
सप्तपर्णी और कविगुरु रवींद्रनाथ
सप्तपर्णी के साथ कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर का जक्र आता है। उन्होंने कई रचनाएं इसी वृक्ष के नीचे बैठकर लिखी हैं। शांतिनिकेतन में दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को इसी वृक्ष के फूल दिए जाते हैं। इसमें सात पत्तों के गुच्छे होते हैं और बीच में फूल उगते हैं। इस कारण इसे सप्तपर्णी कहा जाता है।
अब तक नहीं सुना
इस पेड़ से स्वास्थ्य पर कोई असर पड़ रहा है, ऐसी कोई शिकायत लेकर कोई मरीज या परिजन अभी तक तो मेरे पास नहीं आए हैं।
डॉ.एन के गोयल, जिला अस्पताल
गंभीरता से जांच जरूरी
शहर में लगभग 17 साल से ये पेड़ हैं। पहले कभी इस तरह की मांग नहीं उठी, लेकिन यदि अब कोई परेशानी आ रही है तो उसकी गंभीरता से जांच होना चाहिए।
- राकेश जैन, अध्यक्ष नगर पालिका परिषद नीमच
पूरी जांच करवाएंगे
अल्स्टोनिया स्कॉलरिस पेड़ के संबंध में शिकायत मिली है। कृषि विभाग और वनस्पति वैज्ञानिकों से चर्चा करेंगे। उसके आधार पर नियमानुसार कार्रवाई करेंगे। यह करवाएंगे।
- राकेश श्रीवास्तव, कलेक्टर