शहीद के मॉं-बाप ने लिखा आतंकियों का खुला खत 'तुमने उसे मारा जो कश्मीर से प्यार करता था, अब हमें भी मार डालो..'
श्रीनगर: जम्मू कश्मीर पुलिस के उप निरीक्षक इम्तियाज अहमद मीर के परिवार की ओर से एक खुला खत लिखा गया है जिसमें कहा गया है, 'तुमने उसे मारा जो कश्मीर से प्यार करता था'. आपको बता दें कि इम्तियाज अहमद मीर को उस समय आतंकियों ने गोली मार दी थी जब वह हुलिया बदलकर अपने माता-पिता से मिलने के लिए जा रहे थे. उन्होंने अपनी दाढ़ी काट ली और अपना पूरा हुलिया बदल लिया था ताकि आतंकवादियों से बचते बचाते वह अपने वालिदेन से मिलने जा सकें. लेकिन किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया और आतंकवादियों ने उन्हें पहचान कर उनकी जान ले ली. मीर के एक सहकर्मी ने यह जानकारी दी. दक्षिण कश्मीर के आतंकवाद प्रभावित पुलवामा जिले के बाहीबाग में रविवार की सुबह आतंकवादियों ने मीर (30) की गोली मारकर हत्या कर दी. मीर सीआईडी में थे. मीर को उनके गांव में नहीं जाने की चेतावनी दी गयी थी, क्योंकि डर था कि आतंकवादी उनपर हमला कर सकते हैं.
क्या लिखा है आतंकियों के नाम खुले खत में
‘उपनिरीक्षक मीर इम्तियाज के हत्यारों को खुला खत' शीर्षक से किसी अज्ञात लेखक ने लिखा, ‘तुमने ने एक बूढ़ी मां के प्यारे और एक बूढ़े बाप के आज्ञाकारी बेटे की हत्या की है. तुमने एक ऐसे भाई को मार डाला जो अपने भाई और बहन का एकमात्र सहारा था. तुमने उस लड़की के हर सपने को मार डाला जो शादी करना चाहती थी.
तुमने उस शख्स की हत्या की है जिसके सूफी विचार थे, ऐसा शख्स जो सूफीवाद को खूब पढ़ता था. जो काल मार्क्स और हर अलग विचारधारा को पढ़ता था. सबसे खास बात कि तुमने लोगों ने एक ऐसे शख्स को मार डाला जो कश्मीर और उसके लोगों को बेइंतहा प्यार करता था. जो खुशहाल कश्मीर को देखना था.'
तुमने उस शख्स को मारा है जो मास्टर्स था जो अपने एसआई बैच का टॉपर था. तुमने उस शख्स को मारा है जो अपने बुजुर्ग मां-बाप और दुखों में घिरी बहन से मिलना चाहता था. जब तुमने उसे मारा तो हम सबको क्यों नहीं मार डाला. आओ हमें भी मारो....हम उसके बिना नहीं रह सकते
घर जाने से रोका गया था
गौरतलब है कि आतंकवादियों ने हाल में प्रदेश में कई पुलिसकर्मियों को निशाना बनाया है. उनके एक वरिष्ठ अधिकारी ने याद किया, ‘‘मैंने उससे कहा था कि वह ना जाए क्योंकि आतंकवादी हमला कर सकते हैं. लेकिन वह अपने माता पिता को देखने के लिए बेकरार थे जो पुलवामा जिले के अंदरूनी इलाके में सोनताबाग में रहते हैं.'' अधिकारी ने बताया कि सुबह उन्होंने घर जाने के लिए छुट्टी ली और अपना हुलिया बदल लिया. उन्होंने अपनी दाढ़ी काट ली और अपने पैतृक गांव जाने के लिए अपने व्यक्तिगत वाहन का इस्तेमाल करने का निर्णय लिया. घर के लिए रवाना होने पहले संभवत: उन्होंने अपने अधिकारी से आखिरी बार कहा था, ‘‘अब वे (आतंकी) मुझे नहीं पहचान पायेंगे'' मीर के परिवार में उनके माता-पिता हैं.