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सीबीआई निदेशक को फंसाने की साजिश के पीछे था रॉ के अधिकारी का हाथ



नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को झूठे मामले में फंसाने की साजिश में रॉ के वरिष्ठ अधिकारी सामंत कुमार गोयल की सक्रिय भूमिका थी। सीबीआई के पास इसके पुख्ता सबूत हैं। दरअसल, सीबीआई अपने विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ रिश्वतखोरी मामले में बिचौलिए की भूमिका निभाने वाले मनोज प्रसाद के साथ-साथ उसके भाई सोमेश प्रसाद को भी गिरफ्तार करना चाहती थी।

मनोज प्रसाद को 16 अक्टूबर को ही गिरफ्तार कर लिया गया था लेकिन सामंत गोयल ने फोन कर उस समय विदेश गए सोमेश को भारत आने से मना कर दिया था। इस बीच, सीबीआई ने अपने ही डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार कर लिया है।

मनी लॉन्ड्रिंग समेत कई मामलों में आरोपित मांस निर्यातक मोईन कुरैशी से जुड़े एक केस में जांच अधिकारी रह चुके कुमार की गिरफ्तारी इसलिए की गई है क्योंकि उस पर सतीश बाबू सना नामक कारोबारी का फर्जी बयान दर्ज करने का आरोप है। सना ने ही आरोप लगाया था कि मामले में राहत पाने के लिए रिश्वत दी गई है।

वैसे तो सीबीआई की एफआईआर में सामंत को आरोपित नहीं बनाया गया है, लेकिन एक जगह उनका नाम है। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, पूरी साजिश में सामंत गोयल शामिल थे। सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ तीन करोड़ रुपए की रिश्वत लेने का आरोप लगाने वाले सतीश बाबू सना ने अपनी लिखित शिकायत में कहा कि सोमेश प्रसाद ने राकेश अस्थाना के साथ नजदीकी संबंधों के अलावा सामंत गोयल के साथ लगातार संपर्क में होने का दावा किया था। जांच एजेंसी के पास सामंत गोयल और सोमेश प्रसाद के बीच फोन पर बातचीत के टेप भी मौजूद हैं।

उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, अपने निदेशक आलोक वर्मा को फंसाने की साजिश का पता लगने के बाद सीबीआई ने मनोज प्रसाद और सोमेश प्रसाद दोनों के मोबाइल पर बातचीत को टैप करना शुरू कर दिया था। मनोज प्रसाद पहले से भारत में था। सोमेश प्रसाद भारत आने की तैयारी कर रहा था। सीबीआई चाहती थी कि सोमेश को भी गिरफ्तार कर उसके मोबाइल को कब्जे में लिया जाए। सोमेश ने अपने मोबाइल से न सिर्फ राकेश अस्थाना को कॉल किया था बल्कि वाट्सएप पर भी बातचीत की थी।

उसने सतीश बाबू सना को वाट्सएप की डीपी में राकेश अस्थाना का फोटो भी दिखाया था। लेकिन, सीबीआई की तैयारी की भनक कहीं से सामंत कुमार गोयल को लग गई और उन्होंने सोमेश प्रसाद को बार-बार फोन पर भारत नहीं आने की चेतावनी देना शुरू कर दिया। लेकिन, उन्हें खुद नहीं पता था कि उनकी बातचीत को टैप किया जा रहा है। अब सीबीआई कभी भी सामंत गोयल को पूछताछ के लिए बुला सकती है।

डीएसपी ने सना की गैरहाजिरी में ही दर्ज दिखा दिया बयान
सीबीआई के अनुसार, गिरफ्तार किए गए डीएसपी देवेंद्र कुमार ने सतीश बाबू सना को 26 सितंबर को पूछताछ के लिए बुलाया था। सना उस दिन नहीं आए, क्योंकि वह हैदराबाद में थे। सना एक अक्टूबर को सीबीआई दफ्तर पहुंचे। लेकिन, देवेंद्र कुमार ने 26 सितंबर को ही सना का बयान दर्ज दिखा दिया। ऐसा आलोक वर्मा के खिलाफ सीवीसी में राकेश अस्थाना की शिकायत को मजबूत करने लिए किया गया था। इसमें सना को यह कहते हुए बताया गया कि इस साल जून में उन्होंने राज्यसभा सदस्य सीएम रमेश से मुलाकात कर सीबीआई द्वारा बार-बार बुलाए जाने के बारे में बताया था।

इस फर्जी बयान के अनुसार, सीएम रमेश ने सतीश बाबू सना को सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा से बातचीत हो जाने की बात कही और यह भी बताया कि अब आगे उन्हें पूछताछ के लिए नहीं बुलाया जाएगा। इस फर्जी बयान में सना ने जून के बाद कोई नोटिस नहीं मिलने के बाद यह मान लिया था कि सीएम रमेश की पैरवी के बाद सीबीआई ने क्लीन चिट दे दी है। सना ने मजिस्ट्रेट के सामने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दिए बयान में भी यही बात कही। उन्होंने यह भी बताया कि सीबीआई केस के बारे में सीएम रमेश से कभी बात की ही नहीं थी। 

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