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सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर हिंसक हुआ प्रदर्शन, कई जगह धारा 144 लागू



तिरुवनंतपुरम. सबरीमाला मंदिर के पट बुधवार शाम 5 बजे मासिक पूजा के लिए खोले गए। 12वीं सदी के भगवान अयप्पा के मंदिर में पहली बार महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दी गई। लेकिन, हर आयुवर्ग की महिलाओं को प्रवेश दिए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में हजारों श्रद्धालु सड़कों पर उतर आए। प्रदर्शनकारियों ने कई महिलाओं को मंदिर की ओर जाने से रोका। एक महिला पत्रकार पर हमले की रिपोर्ट भी है। विरोध हिंसक होने पर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया, 50 लोगों को हिरासत में लिया गया। कुछ हिस्सों में धारा 144 लगाई गई। हिंसा की घटनाओं पर राष्ट्रीय महिला आयोग ने संज्ञान लिया है। 

राज्य की मंत्री ने कहा- प्रदर्शनकारी गंदी राजनीति कर रहे : राज्य की सामाजिक न्याय मंत्री केके शैलजा ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि यह जान-बूझकर किया जा रहा है। वे (प्रदर्शनकारी) गंदी राजनीति कर रहे हैं। हम यह भी नहीं कह सकते कि वास्तव में वे भक्त भी हैं या नहीं। ’’ इससे पहले मंगलवार को मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने श्रद्धालु की रक्षा और विरोध करने वालों पर सख्त कार्रवाई का भरोसा दिलाया था।

टीडीबी और राजपरिवार की बैठक में नहीं निकला नतीजा : त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (टीडीबी) और पंडालम राजपरिवार के सदस्यों के बीच मंगलवार को बैठक हुई। इसमें कोई नतीजा नहीं निकला, क्योंकि टीडीबी ने पुनर्विचार याचिका दाखिल करने से इनकार कर दिया। बैठक में अयप्पा सेवा संघम और योग क्षेम सभा के सदस्य भी शामिल थे।

बसों, गाड़ियों में महिलाओं की तलाशी ली गई : भगवान अयप्पा के सैकड़ों श्रद्धालु मंगलवार को मंदिर के रास्ते में 20 किलोमीटर पहले ही जमा हो गए थे। इनमें आजीवन ब्रह्मचारी रहने वाली महिला श्रद्धालु भी शामिल थीं। ये लोग 10 से 50 साल की महिलाओं को मंदिर की ओर जाने से रोक रहे थे। बसों, निजी गाड़ियों में ‘‘प्रतिबंधित आयुवर्ग’’ की महिलाओं की तलाशी ली गई।

महिलाओं के विरोध में महिलाएं : सबरीमाला का बेस कैम्प कहे जाने वाले नीलक्कल में हालात ज्यादा तनावपूर्ण हैं। यहां हजारों महिला प्रदर्शनकारी जमा हैं। काली पोशाकों में कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र भी बसों को रोकते हुए दिखाई दिए।

शिवसेना और भाजपा ने धमकी दी : शिवसेना ने धमकी दी थी कि अगर प्रतिबंधित आयुवर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश दिया गया तो हम सामूहिक आत्महत्या करेंगे। कुछ अन्य संगठनों ने कहा कि मंदिर में जाने वाली महिलाओं को उन्हें कुचलकर जाना होगा। भाजपा नेता कोल्लम थुलाशी ने धमकी दी थी कि प्रतिबंधित आयुवर्ग की महिलाएं अगर मंदिर में गईं तो अंजाम भुगतना होगा।

 800 साल से जारी प्रथा : सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश के फैसले के खिलाफ केरल के राजपरिवार और मंदिर के मुख्य पुजारियों समेत कई हिंदू संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी। अदालत ने सुनवाई से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर को सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं को प्रवेश करने की इजाजत दी। यहां 10 साल की बच्चियों से लेकर 50 साल तक की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी थी। प्रथा 800 साल से चली आ रही थी।

हर साल 5 करोड़ लोग करते हैं दर्शन : सबरीमाला मंदिर पत्तनमतिट्टा जिले के पेरियार टाइगर रिजर्वक्षेत्र में है। 12वीं सदी के इस मंदिर में भगवान अय्यप्पा की पूजा होती है। मान्यता है कि अय्यपा, भगवान शिव और विष्णु के स्त्री रूप अवतार मोहिनी के पुत्र हैं। दर्शन के लिए हर साल यहां साढ़े चार से पांच करोड़ लोग आते हैं।

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