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RBI गर्वनर आज करेंगे मौद्रिक नीति के फैसलों की घोषणा



नई दिल्ली। होम लोन समेत सभी तरह के कर्जों की ब्याज दरें पिछले दो वर्षों से कमोबेश एक ही स्तर पर थी। लेकिन पिछले कुछ हफ्तों में चार बड़े बैंकों ने लोन की ब्याज दरें बढ़ायी हैं। संकेत इस बात के हैं कि आने वाले दिनों में देश में होम लोन के साथ दूसरे कर्ज महंगे होने की रफ्तार और तेज हो सकती है।

महंगा होते कच्चे तेल, डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट और अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वार तेज होने के आसार के बीच ब्याज दरें और बढ़ने की संभावना जतायी जा रही है। ब्याज दरें तय करने वाली भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक बुधवार से शुरू हो गई है। समिति के फैसलों की घोषणा शुक्रवार को रिजर्व बैंक के गवर्नर ऊर्जित पटेल करेंगे।

एमपीसी हर दो महीने में मौद्रिक नीति की समीक्षा करती है जिसमें वह ब्याज दरों के बारे में फैसला करती है। पिछली दोनों मौद्रिक नीति समीक्षाओं में रेपो रेट (अल्पावधि में बैंकों के खुदरा ब्याज दरों को तय करने वाली दर) में 25-25 आधार अंकों यानी कुल 0.50 फीसद की बढ़ोतरी की गई। पिछली दोनों समीक्षाओं में रुपये की कमजोरी और क्रूड की कीमतों को ही रेपो रेट में बढ़ोतरी की बड़ी वजह बताया गया।

पिछले दो महीनों में इन दोनो मोर्चों पर स्थिति नहीं सुधरी है। ऐसे में सभी जानकार मान रहे हैं कि एक बार फिर रेपो रेट में 0.25 फीसद की वृद्धि करने की एमपीसी में सहमति बन सकती है। बताते चलें कि आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए महंगाई की दर चार फीसद (इससे दो फीसद कम या ज्यादा तक) रखने का लक्ष्य तय किया है।

अगस्त, 2018 तक यह 3.69 फीसद थी लेकिन वैश्विक अस्थिरता को देखते हुए आरबीआई जोखिम नहीं उठाना चाहेगा। एसबीआइ की आर्थिक रिपोर्ट 0.25 फीसद की बढ़ोतरी को तय मान रही है। रिपोर्ट कहती है कि इस वित्त वर्ष अभी और वृद्धि के लिए तैयार रहना चाहिए। एचडीएफसी की रिपोर्ट भी कुछ ऐसे ही संकेत देती है।

एचडीएफसी ने हाल ही में होम लोन को महंगा किया है। दरअसल, पिछले दोनों बार ब्याज दरों में 0.50 फीसद की वृद्धि को अधिकांश बैंकों ने खुद वहन किया है और इसका बोझ ग्र्राहकों पर नहीं डाला है। एचडीएफसी समेत जिन चार बैंकों ने ग्र्राहकों के लिए कर्ज महंगा किया है, वह भी अधिकतम 0.15 फीसद ही बढ़ा है। लेकिन अब नई वृद्धि के बोझ को संभवतः ये बैंक स्वयं नहीं उठाएंगे बल्कि उसे ग्र्राहकों पर डालेंगे।

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