देर रात दिल्ली में हुआ किसानों का प्रवेश, समाप्त हुई किसान क्रांति यात्रा
नई दिल्ली। अपनी मांगों को लेकर हरिद्वार से दिल्ली तक यात्रा करके पहुंचे किसानों ने अपना आंदोलन खत्म कर दिया है। देर रात किसान घाट पर मार्च पहुंचा और यहीं पर इसका समापन भी हो गया। किसान घाट पर चौधरी चरण सिंह की समाधि है और यहीं पर किसानों ने अपनी पदयात्रा का अल सुबह समापन किया।
भारतीय किसान संघ के प्रमुख नरेश टिकैत ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि 23 तारीख को शुरू हुई किसान क्रांति पदयात्रा दिल्ली के किसान घाट पर खत्म हो गई है। हमें दिल्ली पुलिस ने राजधानी में प्रवेश से रोका तो हमने विरोध किया। हमारा उद्देश्य यात्रा खत्म करना था तो कर दी। अब हम अपने गावों को लौटेंगे।
इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ पहले दौर की वार्ता विफल हो जाने के बाद यूपी गेट पर डेरा डाले करीब तीस हजार किसानों को मंगलवार देर रात एक बजे दिल्ली पुलिस ने महात्मा गांधी के समाधि स्थल राजघाट जाने की इजाजत दे दी। इसके बाद यूपी गेट पर लगाए गए बैरिकेड हटा लिए गए। किसान देर रात अपने ट्रैक्टर और पुलिस की बसों में भरकर राजघाट के लिए रवाना हो गए।
इससे पहले अपनी मांगों को लेकर किसानों की यूपी गेट पर मंगलवार को दिल्ली पुलिस के साथ जमकर झड़प हुई। किसानों ने दिल्ली में प्रवेश करने का प्रयास करते हुए ट्रैक्टर चढ़ाकर बैरिकेड तोड़ दिए। उन्हें रोकने के लिए दिल्ली पुलिस को लाठीचार्ज, रबर बुलेट, आंसू गैस के गोले और वाटर कैनन का प्रयोग करना पड़ा। पुलिस कार्रवाई में 10 किसान गंभीर रूप से घायल हो गए, जबकि 30 अन्य को मामूली चोट आईं।
किसानों को मनाने के लिए केंद्र व राज्य सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों की कोशिशें भी नाकाम साबित हुईं। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मौके पर आकर आश्वासन भी दिया, तभी किसानों ने उनकी ओर जूता उछाल दिया। भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले हरिद्वार से 23 सितंबर को शुरू हुई किसान क्रांति यात्रा को रोकने के लिए गाजियाबाद और दिल्ली पुलिस ने द्विचक्रीय सुरक्षा इंतजाम किए थे।
सुबह करीब सवा 11 बजे किसानों ने ट्रैक्टर चलाते हुए पहले गाजियाबाद पुलिस की बैरिकेडिग तोड़ी और बाद में दिल्ली पुलिस की। स्थिति बिगड़ते देख पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी। रबर बुलेट और लाठी लगने से दस किसानों को गंभीर चोटें आईं। तीन मीडियाकर्मी भी रबर बुलेट से घायल हो गए। गंभीर रूप से घायल किसानों को एमएमजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
सभी मांगें माने जाने तक डटे रहेंगे किसान : राकेश टिकैत
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि सरकार ने किसानों की सभी मुख्य मांगों की अनदेखी की है। आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला। जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाती वह डटे रहेंगे।
क्या हैं मांगे
-स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू हो
-न्यूनतम समर्थन मूल्य, लागत में पचास फीसद जोड़कर निर्धारित हो
-कर्ज में डूबे किसानों के कर्ज पूरी तरह माफ किए जाएं
- बिजली दरें कम की जाएं
-डीजल दरें कम की जाएं
-कृषि यंत्रों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा जाए
-दस साल पुराने ट्रैक्टरों पर से प्रतिबंध हटाया जाए
-प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का भुगतान 15 दिन के अंदर हो
-फसल ख्ररीद की गारंटी हो
- खेतिहर मजदूरों को मनरेगा के अंतर्गत मजदूरी दिलाई जाए
- 60 साल के अधिक उम्र के किसानों के लिए वृद्धावस्था पेंशन
- आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवारों के लिए घर व नौकरी