इस वजह से सबरीमाला मंदिर में था महिलाओं का प्रवेश निषेध
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब सभी उम्र की महिलाएं सबरीमाला मंदिर के भीतर जाकर भगवान अयप्पा की पूजा कर सकती हैं. केरल के पेरियार टाइगर रिजर्व में 18 पहाड़ियों से घिरा यह एक खूबसूरत मंदिर है. ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना भगवान परशुराम ने की थी.
ऐसा माना जाता था कि देव अयप्पा पहाड़ी जंगल के बीच स्थित सबरीमाला मंदिर में 'नैष्ठिक ब्रह्मचर्य' (निष्ठावान ब्रह्माचारी) अवस्था में विराजमान हैं. इस मंदिर में अभी तक रजस्वला की उम्र (10 से 50 साल) तक की औरतों को प्रवेश करने की इजाजत नहीं थी. ऐसा क्यों था? इसके बारे में कई तरह की कहानियां प्रचलित हैं.
पुराणों और जनश्रुतियों से निकली कहानियों के अनुसार, देव अयप्पा का जन्म भगवान शिव और भगवान विष्णु के संयोग से हुआ था. असल में एक खतरनाक राक्षस भष्मासुर के वध के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी का वेश रचा था. भष्मासुर देवताओं से वह अमृत छीनना चाहता था जो समुद्र मंथन से निकला था. तो कथा यह है कि भगवान शिव भी विष्णु के इस मोहिनी रूप से मोहित हो गए और दोनों के संयोग से देव अयप्पा का जन्म हुआ.
देव अयप्पा जब छोटे थे, तभी दक्षिण भारत के इलाके में एक राक्षसी का आतंक मचा हुआ था. उसे यह वरदान मिला था कि उसे हार सिर्फ भगवान शिव और विष्णु के संयोग से पैदा संतान से ही हो सकती है. तो इस तरह दोनों के बीच लड़ाई हुई और देव अयप्पा ने उस राक्षसी पर विजय हासिल की. लेकिन हार के बाद यह खुलासा हुआ कि वह राक्षसी वास्तव में एक सुंदर युवा महिला थी, जो किसी श्राप की वजह से राक्षसी बन गई थी.
इस हार के बाद राक्षसी को इस अभिशाप से मुक्ति मिल गई. महिला देव अयप्पा से बहुत प्रभावित हुई और उसे उनसे प्यार हो गया. उसके प्रेम प्रस्ताव को खारिज करते हुए देव अयप्पा ने कहा कि उन्हें वन में जाकर भक्तों की प्रार्थना सुनने का आदेश मिला है. लेकिन युवती अपनी जिद पर अड़ी रही. आखिरकार देव अयप्पा ने उससे यह वादा किया कि जिस दिन कन्नी-स्वामी (नए भक्त) सबरीमाला में उनके सामने आकर प्रार्थना करना बंद कर देंगे, उस दिन वे उस युवती से शादी कर लेंगे.
युवती इस बात पर राजी हो गई और पास के एक मंदिर में बैठकर इंतजार करने लगी. आज उस महिला की भी पूजा की जाती है और पास के मंदिर में वह देवी मलिकपुरथम्मा के रूप में स्थापित हैं. तो कहानी के मुताबिक देवी मलिकपुरथम्मा के सम्मान करने की वजह से ही देव अयप्पा किसी रजस्वला स्त्री (ऐसी स्त्री जिसके पीरियड आते हों) का अपने यहां स्वागत नहीं करते. इस मान्यता का सम्मान करते हुए ज्यादातर औरतें खुद ही देव अयप्पा के मंदिर में नहीं जाती थीं ताकि देवी मलिकपुरथम्मा के प्यार और बलिदान का अपमान न हो.
एक अन्य कहानी-
एक अन्य कथा के मुताबिक देव अयप्पा का उल्लेख इतिहास में है. उनका जन्म केरल के पट्थनमथिट्टा जिले में स्थित एक छोटे-से राजघराने पंथलम के यहां हुआ था. इसी जिले में सबरीमाला मंदिर स्थित है. अयप्पा बाद में एक ऐसे जनप्रिय राजकुमार बने जो अपने राज्य की प्रजा का काफी ध्यान रखते थे. कथा के मुताबिक अरब कमांडर वावर के नेतृत्व में कुछ लुटेरों ने राज्य पर हमला कर दिया.
अयप्पा ने वावर को हराया और इसके बाद उनकी लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि उनके भक्त उनकी पूजा करने लगे. सबरीमाला मंदिर से 40 किमी दूर एरुमली में वावर का मकबरा स्थित है. कहा जाता है जो भक्त देव अयप्पा के दर्शन को जाते हैं वावर उनकी रक्षा करते हैं. कथा के अनुसार देव अयप्पा उन सभी की प्रार्थना जरूरत सुनते हैं जो 40 किमी दूर वावर के मकबरे तक भी जाते हैं.
ऐसा माना जाता है कि अपने ऊपर मिली कठोर जिम्मेदारी की वजह से देव अयप्पा ने सारी सांसारिक इच्छाओं का त्याग कर दिया था. कई लोगों का मानना है कि शायद इसकी वजह ही रजस्वला स्त्रियों के सबरीमाला मंदिर में जाने पर रोक लगाई गई.