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सेना की लाखों करोड़ की जमीन पर अवैध कब्जे, रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट


नई दिल्ली। तीनों सेनाओं से जुड़े अहम ठिकानों की 11,179 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा है। इसका मूल्य कई लाख करोड़ रुपये हो सकता है। कई बार के प्रयास के बावजूद इसे खाली नहीं कराया जा सका है।
सैन्य जमीन पर अवैध कब्जे का यह आंकड़ा अक्टूबर 2015 तक का है। रक्षा मंत्रालय ने यह बात कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता वाली संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के समक्ष कही है।
रक्षा मंत्रालय की इस रिपोर्ट पर चर्चा के बाद पीएसी ने कहा कि सबसे बड़ी चिंता इस बात की है कि इन अवैध कब्जों को हटाया नहीं जा सका है। इनमें कई का तो नियमितीकरण भी कर दिया गया है।
इस मामले में रक्षा मंत्रालय का ठंडा रुख भी अवैध कब्जों को बढ़ाने वाला रहा। मंत्रालय की उदासीनता की वजह से कई शहरों में अवैध कब्जे नियमित हो गए।
अब मंत्रालय को अपनी जमीन का सीमांकन करना चाहिए और देखना चाहिए कि कहां-कहां उन पर अवैध कब्जा हुआ। इस मामले में तीनों सेनाएं संबंधित राज्य सरकारों और जिला प्रशासन की मदद लें।
रक्षा आस्थानों की जमीन के प्रबंधन की आलोचना करते हुए पीएसी ने कहा, मार्च 2010 में जिस 2,500 एकड़ जमीन का मूल्य 11,033 करोड़ रुपये था। उसे 2.13 करोड़ रुपये सालाना के पट्टे पर दिया गया।
यह भूमि का मामूली मूल्यांकन था जिससे सरकारी खजाने को चोट लगी। हैरत में डालने वाली बात यह है कि पट्टा नवीनीकरण के 3,780 मामलों की समीक्षा में पता चला कि इनमें से 1,800 पट्टों के नवीनीकरण के लिए ही अनुरोध पत्र प्राप्त हुए।
बाकी 1,081 संपत्तियों के मामले में पट्टा नवीनीकरण का कोई अनुरोध प्राप्त नहीं हुआ और उन पर कब्जेदार का कब्जा बना हुआ है।
समिति ने सरकार को सुझाव दिया कि रक्षा आस्थानों से जुड़ी जमीन को पट्टे पर देने के विषय में सरकार छह महीने में नीति निर्धारित करे।
उल्लेखनीय है कि रक्षा मंत्रालय के पास देश में सबसे ज्यादा जमीन (17.54 लाख एकड़ जमीन) का मालिकाना हक है।

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