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एससी/एसटी एक्‍त के खिलाफ आज भारत बंद का आव्‍हान, बिहार में प्रदर्शन तेज, एमपी के 18 जिलों में धारा 144 लागू


 

नई दिल्ली/भोपाल। एट्रोसिटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ अनारक्षित वर्ग के 114 संगठनों द्वारा मप्र, राजस्थान समेत पूरे देश में बुलाए गए भारत बंद का असर नजर आने लगा है। इस बंद के दौरान बिहार के कई शहरों में प्रदर्शन हुए हैं।

राज्य के बेगूसराय में लोगों के साथ दुर्व्यवहार की सूचना है वहीं सीतामढ़ी और आरा में प्रदर्शनकारियों ने एक ट्रेन को भी रोक लिया है। माकामा में भी प्रदर्शनकारियों ने हाईवे पर 20 किमी लंबा जाम लगा दिया है।

यूपी के वाराणसी में भी प्रदर्शनकारियों ने पुतलों का दहन कर नारेबाजी की है वहीं बाजार बंद नजर आए।

ससी, एसटी एक्ट में संशोधन कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने वाले सरकार के कदम के विरोध में सवर्ण लामबंद हो रहे हैं। सवर्णों का कहना है कि इस एक्ट में बिना जांच के दंड का प्रावधान है और अधिकांश मामलों में इसका दुरुपयोग होता आया है। मध्य प्रदेश में इसे सपाक्स समाज संस्था ने समर्थन दिया है। प्रदेश भर में करीब 35 संगठन समर्थन में आए हैं।

संगठनों का दावा है कि बंद के दौरान सुबह 10 से शाम 4 बजे तक प्रदेशभर में व्यापारिक प्रतिष्ठान, पेट्रोल पंप सहित बाजार बंद रहेंगे। दूध सप्लाई समेत रोजमर्रा की जरूरत की वस्तुओं को बंद से बाहर रखा है। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस मुख्यालय ने जिलों में करीब साढ़े 10 हजार अतिरिक्त पुलिस बल भेजा है। अधिकतर जिलों में धारा 144 लगा दी है और धरना-प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी जा रही है।

उप्र में आगरा-मथुरा व आसपास के जिलों में बंद को लेकर विशेष सरगर्मी है। यहां से हजारों लोग मध्य प्रदेश के लिए कूच कर सकते हैं। ब्राह्माण और क्षत्रिय संगठन इसकी अगुआई में जुटे हैं। कुछ ब्राह्मामण विधायक भी बिना सामने आए आंदोलन को हवा दे रहे हैं।

भारतीय नागरिक परिषद के अध्यक्ष चंद्र प्रकाश अग्निहोत्री ने कहा कि भाजपा बताए कि बिना जांच केगिरफ्तारी को क्या वह सही मानती है। पदोन्नतियों में आरक्षण का विरोध कर रही सर्वजन हिताय संरक्षण समिति ने अपने आंदोलन में एससी, एसटी एक्ट के विरोध को भी शामिल किया है। समिति ने 28 सितंबर को लखनऊ में बड़ा सम्मेलन आयोजित किया है।

यह था सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया था कि एससी-एसटी एक्ट से जुड़े मामले में किसी भी व्यक्ति पर मुकदमा दर्ज होने से पहले उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच होनी चाहिए। एससी-एसटी संगठनों ने फैसले का विरोध करते हुए दो अप्रैल को भारत बंद का आह्वान किया था, जिसमें काफी हिंसा भी हुई। विपक्ष और भाजपा के सहयोगी दलों ने इस पर सरकार से दखल देने की मांग की। केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया और अब स्थिति पूर्ववत हो गई है। मतलब, बिना जांच के भी मुकदमा दायर करने और गिरफ्तारी का रास्ता साफ हो गया है। लेकिन अब यह मुद्दा केंद्र सरकार के लिए मुसीबत बन गया है।

लोकसभा में 131 सीटें आरक्षित
लोकसभा में (84 एससी और 47 एसटी) सदस्यों के लिए कुल 131 सीटें आरक्षित हैं। इनमें से 67 भाजपा के हैं। जाहिर है भाजपा ने इस वर्ग की नाराजगी मोल लेने के बजाय सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटना उचित समझा।

भाजपा में विरोध के स्वर
केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र ने कानून पर निजी राय रखते हुए कहा कि जमीन पर एससी-एसटी एक्ट का दुरुपयोग हो रहा है। इससे लोगों के अंदर असमानता का भाव पैदा हो रहा है। अधिकारी भी डर रहे हैं कि अगर मुकदमा दर्ज नहीं हुआ तो कार्रवाई हो जाएगी। हालांकि, इन बयानों पर सफाई देते हुए केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्री विजय सांपला ने कहा कि किसी व्यक्ति की निजी राय मायने नहीं रखती है। बयान उनकी निजी राय हो सकती है। संसद में सभी ने कानून के समर्थन में वोट किया।

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