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दिल्‍ली में आज देश भर के किसानों का सरकार के खिलाफ 'हल्‍ला बोल'



महंगाई, न्यूनतम भत्ता, कर्जमाफी समेत कई बड़े मुद्दों को लेकर देश के किसान आज राजधानी दिल्ली की सड़कों पर मोदी सरकार के खिलाफ हल्ला बोल रहे है. बुधवार सुबह किसानों का ये मार्च रामलीला मैदान से शुरू होकर संसद की तरफ पहुंचा. इस प्रदर्शन में देश भर से आए किसान एकत्रित हुए हैं, यहां तक की बाढ़ प्रभावित केरल के किसान भी प्रदर्शन कर रहे हैं.

किसानों के मार्च के कारण दिल्ली की कई सड़कों पर जाम की स्थिति है, इसके अलावा कुछ रास्तों पर ना जाने की सलाह दी जा रही है.

इस प्रदर्शन की अगुवाई ऑल इंडिया किसान महासभा के द्वारा किया जा रहा है. वामपंथी संगठन अखिल भारतीय किसान महासभा और सीटू के नेतृत्व में लाखों की संख्या में किसान और मजदूर दिल्ली के रामलीला मैदान पर मजदूर किसान संघर्ष रैली में जुटेंगे.

किसान और मजदूरों की इस महारैली से पहले सीटू और अखिल भारतीय किसान सभा की ओर से अपनी मांगों का चार्टर सामने रखा गया है. जिसमें बीजेपी शासित केंद्र सरकार पर सांप्रदायिक और किसान-मजदूर विरोधी होने का आरोप लगाते हुए आम लोगों को मुहिम के साथ जुड़ने की अपील की गई है.  

किसान और मजदूरों की प्रमुख मांग क्या है?

इस चार्टर में मांग की गई है कि रोज बढ़ रही कीमतों पर लगाम लगाई जाए, खाद्य वितरण प्रणाली की व्यवस्था को ठीक किया जाए, मौजूदा पीढ़ी को उचित रोजगार मिले, सभी मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी भत्ता 18000 रुपया प्रतिमाह तय किया जाए.

इसके अलावा कहा गया है कि मजदूरों के लिए बने कानून में मजदूर विरोधी बदलाव ना किए जाएं, किसानों के लिए स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें लागू हों, गरीब खेती मजदूर और किसानों का कर्ज माफ हो.

सरकार से किसानों की मांग है कि खेती में लगे मजदूरों के लिए एक बेहतर कानून बने. हर ग्रामीण इलाके में मनरेगा ठीक तरीके से लागू हो, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा और घर की सुविधा मिले. मजदूरों को ठेकेदारी प्रथा से राहत मिले. जमीन अधिग्रहण के नाम पर किसानों से जबरन उनकी जमीन न छीनी जाए और प्राकृतिक आपदा से पीड़ित गरीबों को उचित राहत मिले.

मांगों के इस चार्टर को लेकर बुधवार को किसान और मजदूर संसद की ओर मार्च करेंगे जिसमें विरोधी खेमे के कई नेताओं के शामिल होने की भी संभावना है. वामपंथी दल सीपीआईएम के महासचिव सीताराम येचुरी भी इस मार्च में हिस्सा ले सकते हैं. 

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