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100 नहीं, 150 नहीं पूरे 256 साल तक जीवित रहा था ये व्‍यक्ति



नई दिल्ली। अक्सर लोग कहते है कि पहले के जमाने के लोग शुद्ध और देशी खान-पान खाने की वजह से लंबी जिदंगी जीया करते थे। उनके खान-पान की वजह से ज्यादातर लोग 100 साल से ज्यादा जीते थे। लेकिन क्या आप जानते है कि लोग कितने साल जी सकते है। आप शायद कहेंगे 100 या 120 साल या इससे अधिक 140 तक बताएंगे।

लेकिन हम आपको बताते कि एक शख्स ऐसा है जो 250 साल से ज्यादा जिंदा रहा। हैरान हो गए ना कि भला कोई इतने सालों तक कैसे जी सकता है। जी हां, ये बिलकुल सच है। 

वीकिपीडिया पर एक चीनी व्यक्ति के बारे में दावा किया गया है कि वह 256 साल का होकर मरा था। ऐसा कहा जाता है कि उसने जिंदा और स्वस्थ रहने का मंत्र सीख लिया था।

पृथ्वी का सबसे ज्यादा जीने वाला व्यक्ति...
इस अनोखे इंसान का नाम ली चिंग यूएन है। आपको यकीन नहीं होगा कि ये इंसान पृथ्वी का सबसे ज्यादा जीने वाला व्यक्ति था। ली चिंग का जन्म चीन में क्विंग शासन के दौरान सिचुआन में 1677 और 1736 में हुआ था। 

71 साल की उम्र में सेना में हुए थे शामिल...
ली चिंग के बारे में बताते है कि 71 साल की उम्र में तो ये जनाब सेना में शामिल हुए थे और मार्शल आर्ट भी सीखा था। 

ली चिंग अपने समय में एक आयुर्वेद के डॉक्टर के रूप में प्रसिद्ध थे और उसके साथ मार्शल आर्ट मे भी उन्हें महारथ हासिल थी। कहतें हैं की उसने जीने का मत्रं सीख लिया था इस लिए हमेशा से वो निरोगी और फीट रहा। 

23 पत्नियों का किया अंतिम संस्कार...
कहतें हैं की ली चिंग ने अपने जीवन काल में 23 पत्नियों का अंतिम संस्कार कर चुका था। गौरतलब है कि 1933 में न्यूयार्क टाइम्स और टाइम पत्रिका में एक चीनी इतिहासशाष्त्री वु चंग जी का इंटरव्यू छापा था जिसमें जिसमें 1827 में चीन की राजाशाही सरकार के द्वारा ली चिंग यन को 150वें जन्मदिवस की बधाई दी गई थी। 

अपने आप में अनोखा ली चिंग की कहानी आज भी जानकर लोग हैरान हो जातें हैं। कहतें हैं की लिंग चिंग जब 6 मई 1933 को जब उसकी मृत्यु हुई तो उसकी उम्र 256 साल की थी।

क्या है लंबी जिंदगी का राज...
यूएन का कहना है कि उसने जड़ी बूटी के सहारे ही 40 साल बिताए गए थे। अब तक ये जनाब 23 शादियां कर चुके हैं और इनके तकरीबन 200 बच्चे हैं। यूएन बताते हैं कि वो शुरुआत से ही जड़ी बूटी खरीदकर बेचने का काम करते थे और इन्हें खुद भी खाते थे। वो चावल की शराब भी पीते थे।

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