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लाख कोशिशों के बावजूद वैज्ञानिक आज तक नहीं जान पाये ये रहस्‍य


ये पृथ्वी लाखों हजारों साल पुरानी है। साइंस ने चाहे जितनी मर्जी तरक्की कर ली होगी, लेकिन वो कुदरत के आगे बेबस सी नजर आती है। वैसे तो साइंस चमत्कार को नहीं मानता। लेकिन कई बार एेसी चीजें हो जाती हैं जिससे इसे मानने पर विवश हो जाना पड़ता है। क्या कभी आप के मन में भी ये सवाल आया है कि अगर हम धरती के एक तरफ से चले जाएंगे तो हम कहां पर जाकर पहुंचेंगे। आज आपको हम इसी के बारे में बताने वाले हैं।

ऐसा कई वैज्ञानिकों के मन में भी आया था। उन्होंने भी इस चीज को जानने के लिए एक मुहिम हाथ में ली थी। 1970 में सोवियत के वैज्ञानिकों ने धरती की बाहर सतह (पपड़ी) के बारे में जानना चाहा। 

इसके लिए वैज्ञानिकों ने रूस में एक गहरा होल (छेद) करने की सोची। ऐसा होल जिसकी गहराई आखिर में इन वैज्ञानिकों को पृथ्‍वी की पपड़ी का रहस्‍य बता दे। इसको लेकर 1970 में ही इन वैज्ञानिकों ने मिलकर गड्ढा खोदना शुरू किया।

उन्होंने पृथ्वी के एक तरफ गड्ढा करना शुरू कर दिया, वह लगातार गड्ढा करते गए। लेकिन वह 1100 मीटर का गड्ढा करने में सफल रहे। उसके बाद जिस मशीन से वह खुदाई रहे थे वह मशीन ही पिघलने लगी। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि 1100 मीटर के बाद पृथ्वी का तापमान बढ़ने लगता है। यहां का तापमान बेहद गर्म है। ये करीब 350 डिग्री फॉरेनहाइट तक होता है।

इसके अलावा वैज्ञानिकों ने ये राज भी खोला कि जहां उन्‍होंने ये गड्ढा पृथ्‍वी की सतह तक पहुंचने के उद्देश्‍य से किया था। वहीं इतने साल इतनी गहराई खोदने के बाद भी वह पृथ्‍वी की गहराई के सिर्फ 0.2 प्रतिशत  पर ही पहुंच सके थे। अब जरा ये सोचिए कि और कितनी गहराई चाहिए थी पृथ्‍वी की सतह पर पहुंचने के लिए। ऐसी आशंका है कि, वहां पर पृथ्वी का तापमान बहुत ज्यादा है और जैसे जैसे हम जीते जाएंगे वह तापमान बढ़ता ही जाता है।

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