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ई-सिगरेट पर दिल्ली हाईकोर्ट सख्त, केंद्र को लगाई फटकार


भारत में ई-सिगरेट के इस्तेमाल को लेकर किसी तरह की कोई रोक या दिशा निर्देश ना होने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई है. दिल्ली हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य मंत्रालय से कहा है कि पिछले साल नवंबर से अब तक मंत्रालय ने हाईकोर्ट के निर्देश के बावजूद अभी तक कोई गाइडलाइन क्यों नहीं बनाई.

हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य मंत्रालय को 6 हफ्ते का समय देते हुए अपनी स्टेटस रिपोर्ट देने को कहा है. जिसमें यह बताया जाए कि ई-सिगरेट को लेकर सरकार की क्या नीति है और अगर इसका इस्तेमाल खतरनाक है, तो इस पर रोक के लिए सरकार के पास क्या प्रावधान हैं?

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने इस बात पर गहरी चिंता जताई कि किसी तरह की कोई गाइडलाइन ना होने के चलते स्कूली बच्चे भी सिगरेट का इस्तेमाल कर रहे हैं. कोर्ट इस बात को लेकर काफी गंभीर था कि नाबालिग और स्कूली बच्चों के बीच में ई-सिगरेट का चलन काफी तेजी से बढ़ा है. हमारे देश में ई-सिगरेट के इस्तेमाल को लेकर सरकार की नीति साफ नहीं है.

फिलहाल देश में तकरीबन आधा दर्जन राज्यों ने ई-सिगरेट पर रोक लगाने के लिए अपनी खुद की नीतियां तय कर ली हैं. इनमें कर्नाटक, केरल, मिजोरम, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्य शामिल हैं, जिन्होंने ई-सिगरेट पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया हुआ है.

लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से ई-सिगरेट पर रोक लगाने के लिए किसी तरह का कोई कानून नहीं है. देश में कई राज्य ऐसे भी हैं जहां पर ई-सिगरेट को प्रतिबंधित ड्रग की कैटेगरी में रखा गया है. इसमें पंजाब, हरियाणा और केंद्र शाषित चंडीगढ़ शामिल है.

6 हफ्ते में स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से इस मामले में आने वाला जवाब अब आगे हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई की दिशा को तय करेगा. मुमकिन है कि केंद्र सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया जाए की ई-सिगरेट के इस्तेमाल को देश में रोकने के लिए और प्रतिबंधित करने के लिए गाइडलाइन बनाने में उन्हें कितना वक्त लग सकता है. कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 7 सितंबर को करेगा.

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