झोपड़ी में 200 सॉंप के साथ रहता है से शख्स
पेंड्रा के दूरस्थ वनांचल में बसे कोलानपारा में घनघोर जंगल के बीच द्वारिका कोल झोपड़ी बनाकर रहते हैं। झोपड़ी में उनकी बूढ़ी मां के अलावा दर्जनों ऐसे साथी हैं जिसे देखकर आम आदमी की रूह कांप जाए। विषधर जिसका नाम सुनते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। यही नहीं उनकी भोजन की भी व्यवस्था करते हैं। उनको इस दुस्साहस का खामियाजा भी भुगतना पड़ा है। सात बार विषधरों ने डसा है। तीन बार वे मौत के मुंह से निकलकर आया है। उनकी आंखों में ऐसा जादू कि देखते ही विषधर रेंगते चले आते हैं।
पेंड्रा के घने जंगलों के बीच कोलानपारा स्थित है। बंजारों की बस्ती के बीच द्वारिका की झोपड़ी एकदम अलग बनी हुई है। दो कमरों की झोपड़ी उनके और उनकी मां के लिए है। इसी से सटी हुई एक बड़ी झोपड़ी बनी है। इस झोपड़ी की ओर झांकना तो दूर आसपास लोग भी नहीं फटकते । कारण साफ है। यहां बड़े-बड़े विषधरों का बसेरा है। रात का सन्नाटा हो या फिर दिन के शांत मौसम में यहां से निकलने वाले विषधरों के फूफकार से अच्छी तरह वाकिफ है। द्वारिका के घर में 200 से ज्यादा विषधर हैं। जंगल कोबरा व करैत वाइपर और न जाने कितने विषधरों की आपस में दोस्ती है।
बीते 21 वर्षों से द्वारिका इनके बीच बेहद सहजता के साथ रह रहा है। ये विषधर उनके जीवन यापन का साधन भी नहीं है। इसे शौक कहें या फिर इनको सुरक्षित रखने का संकल्प। सांपों को पालने के अलावा जंगल क्षेत्र में जहां से भी उनको सांप काटने की जानकारी मिलती है वह मौके पर पहुंच जाता है। लोगों को झाड़ फूंक से बचने की नसीहत देते हुए सीधे डॉक्टर के पास इलाज के लिए जाने की सलाह देते हैं। सांपों के बीच रहने के कारण उनकी पारखी निगाहें यह जान जाती है कि किस प्रजाति के सांप ने व्यक्ति को काटा है। आलम कि आसपास के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए जब कोई पहुंचता है तो चिकित्सक पहले द्वारिका को याद करते हैं। द्वारिका संबंधित व्यक्ति को देखकर यह बता देता है कि उसे किस प्रजाति के सांप ने काटा है।
पांच हजार विषधरों को पकड़ चुका -
द्वारिका बताते हैं कि बीते 21 वर्षों के दौरान वह पांच हजार से ज्यादा विषधरों को पकड़ चुका है। पकड़कर उसे सुरक्षित जंगल में छोड़ दिया है। विषैले सांपों को वह अपने पास रख लेता है। सांपों को पालने के दौरान वह सांपों के दांत को भी नहीं तोड़ता। उसे उसी तरह पालता है जैसे उसका स्वभाव है।