मछवारे की खुल गई किस्मत, हाथ लगी 'सोने के दिल वाली मछली' 5.5 लाख रूपये में बिकी
मुंबई। कहते है कि किस्मत जब मेहरबान होती है सब कुछ बदल जाता है। किस्मत के चलते सडक़ पर आया हुआ इंसान आसमान की बुलंदियों पर पहुंच जाता है। हाल ही कुछ ऐसा ही एक मछुआरे के साथ हुआ। जहां मछली पकडऩे गया एक मछुआरे के जाल में एक ऐसी मछली फंसी जिससे वह एक ही दिन में लखपति बन गया।
खबरों के मुताबिक, यह घटना पिछले शुक्रवार की है। मछुआरा महेश मेहर और उनके भाई भरत शुक्रवार को रोज की तरह पालघर समुद्रतट पर मछलियां पकडऩे गए थे। यहां उसके जाल में घोल मछली फंस गई और यह मछली 5.5 लाख रुपए में बिकी। बताया जा रहा है कि काफी लंबे समय बाद यहां से कोई घोल मछली मिली है।
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, शुक्रवार को मछुआरा महेश मेहर और उनके भाई भरत समुद्र में अपनी छोटी सी नाव से मछली पकडऩे गए थे। जब वे मुर्बे तट पर पहुंचे तो उनका जाल भारी हो गया। वे समझ गए कि जाल में मछली फंस गई है। उन्होंने देखा तो यह घोल फिश थी। मछली का वजन लगभग 30 किलोग्राम था।
घोल फिश की बाजार में भारी डिमांड...
महेश और उनके भाई द्वारा पकड़ी गई घोल फिश की खबर जंगल में आग की तरह फैल गई। सोमवार को जब तक वे समुद्र के किनारे पहुंचते किनारे पर व्यापारियों की लंबी लाइन लगी थी। दोनों के आते ही घोल मछली की बोली शुरू हुई। बीस मिनट में यह बोली खत्म हो गई और इसे 5.5 लाख रुपए में एक व्यापारी ने खरीद लिया।
घोल फिश के अंगों में औषधीय गुण...
यह मछली स्वादिष्ट तो होती ही है, साथ ही मछली के अंगों के औषधीय गुणों के कारण पूर्वी एशिया में इसकी कीमत बहुत ज्यादा है। यहां तक कि घोल (ब्लैकस्पॉटेड क्रॉकर, वैज्ञानिक नाम प्रोटोनिबा डायकांथस) को ‘सोने के दिल वाली मछली’ के रूप में भी जाना जाता है।
बाजार में मछली के हिसाब से अलग-अलग कीमतें होती हैं। रविवार को मछुआरे महेश ने उसे सबसे ऊंचे रेट पर बेचा।
दवाई कंपनियां भी करती हैं इस्तेमाल...
यह मछली सामान्यता सिंगापुर, मलयेशिया, इंडोनेशिया, हॉन्ग-कॉन्ग और जापान में निर्यात की जाती है। यूटान मछुआरे मैल्कम कसूगर ने कहा, ‘घोल मछली जो सबसे सस्ती होती है उसकी कीमत भी 8,000 से 10,000 तक होती है।’ मई में भायंदर के एक मछुआरे विलियम गबरू ने यूटान से एक मंहगी घोल पकड़ी थी। वह मछली 5.16 लाख रुपए में बिकी थी।