भरत वटवाणी और सोनम वांगचुक को मिलेगा रेमन मैगसायसाय पुरस्कार
भरत वटवाणी और सोनम वांगचुक को मिलेगा रेमन मैगसायसाय पुरस्कार
दो भारतीय नागरिकों भरत वटवाणी और सोनम वांगचुक का नाम इस वर्ष के रेमन मैगसायसाय पुरस्कार के विजेताओं में शामिल है. इस पुरस्कार को एशिया का नोबेल पुरस्कार माना जाता है. इन दोनों भारतीयों का नाम उन छह लोगों में शामिल है जिन्हें आज विजेता घोषित किया गया. रेमन मैगसायसाय अवार्ड फाउंडेशन ने कहा कि वटवाणी की यह पहचान भारत के मानसिक रूप से पीड़ित निराश्रितों को सहयोग एवं उपचार मुहैया कराने में उनके साहस और करुणा तथा समाज द्वारा नजरंदाज किये गए व्यक्तियों की गरिमा को बहाल करने के कार्य के प्रति उनके दृढ़ और उदार समर्पण के लिए की गई है.’’
वांगचुक (51) को यह पहचान उत्तर भारत के दूरदराज के क्षेत्रों में ‘‘शिक्षा की विशिष्ट व्यवस्थित , सहयोगी और समुदाय संचालित सुधार प्रणाली के लिए की गई है जिससे लद्दाखी युवाओं के जीवन के अवसरों में सुधार हुआ. इसके साथ ही यह आर्थिक प्रगति के लिए विज्ञान एवं संस्कृति का उपयोग करने के लिए रचनात्मक रूप से स्थानीय समाज के सभी क्षेत्रों को सकारात्मक रूप से लगाने को लेकर उनके कार्य के लिए किया गया है. उनके इस कार्य से विश्व में अल्पसंख्यक लोगों के लिए एक उदाहरण बना. ’’
इसके साथ ही इस पुरस्कार के अन्य विजेताओं में युक चांग (कंबोडिया), मारिया डी लोर्ड्स मार्टिंस क्रूज (पूर्वी तिमोर), होवर्ड डी (फिलिपिंस) और वी टी होआंग येन रोम (वियतनाम) शामिल हैं. रेमन मैगसायसाय अवार्ड फाउंडेशन अध्यक्ष कारमेनसिता एबेला ने कहा कि विजेता स्पष्ट रूप से एशिया की उम्मीद के नायक हैं जिन्होंने अपने प्रयासों से समाज को आगे बढ़ाया. उन्होंने कहा, ‘‘वंचित और हाशिये पर रहने वाले लोगों के साथ वास्तव में एकजुटता दिखाते हुए इनमें से प्रत्येक ने वास्तविक और जटिल मुद्दों का साहसी, रचनात्मकता और व्यावहारिक कदमों से समाधान किया है जिससे अन्य वैसा ही करने में लगे. ’’
टिप्पणियां रेमन मैगसायसाय पुरस्कार एशिया का सबसे बड़ा पुरस्कार है. इसकी स्थापना 1957 में फिलिपिन के तीसरे राष्ट्रपति की स्मृति में की गई थी और इस पुरस्कार का नाम उनके नाम पर रखा गया है. यह पुरस्कार औपचारिक रूप से 31 अगस्त 2018 को फिलिपिन के सांस्कृतिक केंद्र में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रदान किया जाएगा.