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सालों पहले राजा ने दिया था ऐसा फरमान, कि आज भी गॉंव वाले डरते है ये करने से



भारत एक ऐसा देश है जहां सबसे ज्यादा किले हैं। पुराने समय में हमारे देश में राजा महाराजाओं की हुकुमत चला करती थी। एक जमाना था जब हमारे देश में राजा, महाराजाओं का राज हुआ करता था। ऐसा बताया जाता है कि राजाओं का आदेश ही प्रजा के लिए सर्वोपरि होता था। राजाओं का आदेश वहां के लोग ईश्वर के आदेश की तरह ही मानते थे और उनका पालन करते थे।

लेकिन आज के जमाने में लोग ऐसी बाते नहीं मानते हैं। कुछ ऐसी ही कहानी है छत्तीसगंढ के जगदलपुर जिले के मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित इंद्रवती नदी के किनारे बसे ‘छिदगांव’ की जहां आज भी इसका असर देखा जा सकता है। कुछ ऐसी ही कहानी है छत्तीसगढ के जगदलपुर जिले के मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित इंद्रवती नदी के किनारे बसे ‘छिदगांव’ की जहां आज भी इसका असर देखा जा सकता है।

दरअसल हम इसलिए कह रहे है क्योंकि इस गांव में एक शिव मंदिर है जिसमें 10वीं शताब्दी की कुछ मूर्तियां रखी हैं और यहां के ग्रामीण इन मूर्तियों को छूते नहीं हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि आज से करीब 70 साल पहले उनके राजा ने इन मूर्तियों को न छूने का आदेश सुनाया था। राजा के आदेश की तख्ती इस मंदिर में आज भी लगी हुई है।

इस मंदिर में पुराने शिवलिंग के अलावा भगवान नरसिंह, नटराज और माता कंकालिन की भी पुरानी मूर्तियां रखी हुई हैं। यहां के ग्रामीणों का मानना है कि अगर वह इन मूर्तियों को कोई छूता है तो उसे अभिशाप लगता है। 

यही कारण है कि गांव वाले इन मूर्तियों को हाथ लगाने से भी डरते हैं। इस मंदिर के रखवालों का कहना है कि ’बस्तर’ के राजा शिव उपासना के लिए कई सालों से इस गांव के शिवालय में आते रहें हैं और उन्होंने यहां की मूर्तियों को संरक्षित करने के भी कई प्रयास किए।

अब इस परिसर में रखी इन पुरानी मूर्तियों को संग्रहालय लाने की कोशिश की जा रही है। लेकिन इस काम में समस्या ये है कि गांव वाले इस बात का विरोध करते रहे हैं और उन्होंने इन मूर्तियों को हाथ लगाने से भी मना कर दिया है। 

इस मंदिर में आज भी राजा का वो आदेश भी रखा हुआ है जो सागौन की लकड़ी पर खोदकर लिखा गया था। इस आदेश तख्ती पर अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं में ये संदेश लिखा हुआ है कि ‘इन मूर्तियों को हटाना, बिगाडऩा और तोडऩा सख्त मना है बाहुक्म बस्तर स्टेट दरबार।’

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