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सीएसटी और एसपीवी औद्योगिक इस्तेमाल के लिये अनुकूल


 

कॉन्सेंट्रेट्ड सोलर थर्मल टेक्नोलॉजी (सीएसटी) और सोलर फोटोवोल्टिक (एसपीवी) औद्योगिक इस्तेमाल तथा पर्यावरण के लिये अनुकूल है। इससे बिजली बचत को भी बढ़ावा मिलेगा। प्रमुख सचिव, नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा श्री मनु श्रीवास्तव बुधवार को इंदौर में मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम तथा मध्यप्रदेश ट्रेड एण्ड इन्वेस्टमेंट फेसिलिटेशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एम.पी. ट्राइफेक) द्वारा आयोजित बिजनेस मीट को संबोधित कर रहे थे।

श्री श्रीवास्तव ने कहा कि आरईएससीओ रूट का इस्तेमाल करने वाले उद्योगों को बिना पूँजीगत निवेश के सौर ऊर्जा का उपयोग करने में लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि सीएसटी टेक्नोलॉजी मिरर फील्ड/लेंसेस के साथ सूर्य की आने वाली रेडिएशन पर नजर रखती है और ऊर्जा को संरक्षित करती है। इनका इस्तेमाल अप्रत्यक्ष तौर पर कूलिंग के लिये किया जाता है। पे-बैक अवधि की जानकारी देते हुए श्री श्रीवास्तव ने बताया कि जिन उद्योगों में सीएसटी डीज़ल, गैस या फरनस ऑयल का इस्तेमाल होता है, वहाँ प्रोजेक्ट पे-बैक 3-4 वर्षों में होता है। जिन उद्योगों में बॉयोगैस, कोयले या लकड़ी का प्रयोग होता है, उन उद्योगों में पे-बैक 5-7 वर्षों में होता है।

बिजनेस मीट में यूएनआईडीओ-आईआरईडीए योजना, आधुनिक टेक्नोलॉजी के अनुभवों, हीटिंग-कूलिंग एप्लीकेशन तथा सीएसटी प्रणाली अपनाने वाले पुराने और नये उपभोक्ताओं के अनुभवों पर भी चर्चा की गई।

 

बिन्दु सुनील

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