मोदी सरकार में नोटबंदी से घटी भारत की जीडीपी दर
नोटबंदी के कारण देश की आर्थिक वृद्धि दर मार्च तिमाही में 6.1 प्रतिशत रही. इससे पूरे वित्त वर्ष में वृद्धि दर तीन साल के निम्न स्तर 7.1 प्रतिशत पर आ गयी. वृद्धि में गिरावट से भारत सबसे तीव्र आर्थिक वृद्धि वाला देश का तमगा खो दिया है. मुख्य रूप से विनिर्माण क्षेत्र और सेवा क्षेत्र के खराब प्रदर्शन के कारण आर्थिक वृद्धि की गति धीमी हुई है. यह आंकड़ा ऐसे समय आया है जब मोदी सरकार तीन साल पूरा होने का जश्न मना रही है.
वित्त वर्ष 2015-16 में जीडीपी वृद्धि दर 8 प्रतिशत और इससे पूर्व वित्त वर्ष में 7.5 प्रतिशत थी. कृषि क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन के बावजूद 2016-17 में वृद्धि दर कम हुई है. चीन की आर्थिक वृद्धि दर 2017 की जनवरी-मार्च तिमाही में 6.9 प्रतिशत रही. भारत ने पहली बार 2015 में जीडीपी वृद्धि के मामले में चीन को पीछे छोड़ा था.
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के आंकड़ों के अनुसार जीवीए 2016-17 की चौथी तिमाही में 5.6 प्रतिशत रहा जो इससे पूर्व वित्त वर्ष की इसी तिमाही में 8.7 प्रतिशत था. 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) घटकर 6.6 प्रतिशत पर आ गया, जो कि 2015-16 में 7.9 प्रतिशत रहा था. जीवीए 2016 की जनवरी-मार्च तिमाही से लगातार पांच तिमाही में घटा है.
सरकार ने 500 और 1,000 के बड़े मूल्य के पहले से चल रहे नोटों को आठ नवंबर को बंद करने की घोषणा की थी. इस नोट बदलने के काम में 87 प्रतिशत नकद नोट चलन से बाहर हो गए थे. इससे नकदी की समस्या तथा आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई थी.
यह पूछे जाने पर कि क्या नोटबंदी से चौथी तिमाही की आर्थिक वृद्धि प्रभावित हुई है, मुख्य सांख्यिकीविद टीसीए अनंत ने कहा कि अलग से विश्लेषण की जरूरत है. हालांकि उन्होंने स्वीकार कि विभिन्न कारकों में से एक कारक है जो तीसरी और चौथी तिमाही में आर्थिक प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता है. मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियम ने कहा कि नोटबंदी अर्थव्यवस्था के लिये ‘अस्थायी झटका’ था और हम नये नोटों के चलन में प्रगति के साथ अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है.
नोटबंदी के बाद कृषि को छोड़कर अन्य सभी क्षेत्रों में गिरावट आई. नोटबंदी से चौथी तिमाही में निर्माण क्षेत्र पर सर्वाधिक असर पड़ा और इसमें 3.7 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि 2015-16 की इसी तिमाही में इसमें 6 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. विनिर्माण क्षेत्र में जीवीए वृद्धि 2016-17 में घटकर 7.9 प्रतिशत पर आ गयी जो इससे पूर्व वर्ष में 10.8 प्रतिशत थी.
बेहतर मॉनसून की वजह से कृषि क्षेत्र को फायदा हुआ. 2016-17 में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 4.9 प्रतिशत रही, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 0.7 प्रतिशत रही थी. चौथी तिमाही में कृषि क्षेत्र का जीवीए 5.2 प्रतिशत बढ़ा जबकि 2015-16 की समान तिमाही में यह 1.5 प्रतिशत बढ़ा था. आंकड़ों के अनुसार 2016-17 में प्रति व्यक्ति आय बढ़कर 1,03,219 रुपये पर पहुंचने का अनुमान लगाया गया है. यह 2015-16 में 94,130 रुपये रही थी. इस तरह प्रति व्यक्ति आय में 9.7 प्रतिशत का इजाफा हुआ है.