उमा, आडवानी, जोशी सहित 12 लोगों पर चलेगा विवादित ढांचा गिराने की साजिश करने का केस
सीबीआई की विशेष अदालत ने मंगलवार को बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, केंद्रीय मंत्री उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा और विष्णु हरि डालमिया समेत 12 लोगों पर ढांचा ढहाने की साजिश रचने का आरोप तय कर दिया।
इन सभी के खिलाफ आईपीसी की धारा -120 बी के तहत विभिन्न संप्रदायों के बीच धार्मिक भावनाएं भड़काने के अलावा बलवा, गैरकानूनी जमावड़ा करने और राज्य व देश की अखंडता पर दुष्प्रभाव डालने वाले कार्य करने के अपराध में मुकदमा चलाया जाएगा।
विशेष अदालत (अयोध्या प्रकरण) ने इस मामले में महंत नृत्य गोपाल दास, महंत राम विलास वेदांती, बैकुंठ लाल शर्मा प्रेम, चंपत राय बंसल, धर्मदास और डॉ़ सतीश प्रधान पर भी आरोप तय कर दिए हैं। हालांकि आडवाणी समेत सभी अभियुक्तों ने विवादित ढांचा ढहाने के मामले में लगाए गए सभी आरोपों से इनकार किया और मुकदमे के विचारण की मांग की। विशेष जज सुरेन्द्र कुमार यादव ने अभियोजन को आदेश दिया कि वह अपना गवाह पेश करे। मामले की अगली सुनवाई 31 मई को होगी।
इससे पहले आडवाणी, जोशी, उमा, कटियार, साध्वी ऋतंभरा और विष्णु हरि डालमिया अदालत में हाजिर हुए व जमानत की मांग की। विशेष जज ने सभी मुल्जिमों को न्यायिक हिरासत में लेते हुए उनकी जमानत अर्जी मंजूर कर ली। उन्हें 50 हजार का निजी मुचलका दाखिल करने पर रिहा करने का आदेश दिया।
डिस्चार्ज अर्जी पर बहस
इसके बाद मुल्जिमों की तरफ से विशेष अदालत के समक्ष डिस्चार्ज अर्जी प्रस्तुत की गई। सुप्रीम कोर्ट से आए वकील सौरभ शमसेरी, अनुराग अहलूवालिया एवं स्थानीय वकील विमल श्रीवास्तव व केके मिश्रा ने इस अर्जी पर बहस की। उन्होंने कहा कि मुल्जिमों के खिलाफ साजिश रचने का कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है। लिहाजा साजिश रचने के तहत आरोप नहीं तय किया जा सकता।
सीबीआई की तरफ से इस अर्जी का जोरदार विरोध किया गया। सीबीआई के विशेष वकील आरके यादव, ललित सिंह व पुर्णेन्दु चक्रवर्ती का कहना था कि पांच अक्टूबर, 1993 को दाखिल आरोपपत्र में इन सभी मुल्जिमों के खिलाफ साजिश रचने का पूरा साक्ष्य मौजूद है। यह भी कहा गया कि 19 अप्रैल, 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने इन मुल्जिमों के खिलाफ आईपीसी की धारा 120 बी के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया है। लिहाजा मुल्जिमों की डिस्चार्ज अर्जी खारिज की जाए।
आडवाणी ने लिखा अपना पक्ष
विशेष जज ने दोनों पक्षों की बहस के बाद आरोपमुक्त करने वाली अर्जी खारिज कर दी। साथ ही साजिश रचने की आईपीसी की धारा 120 बी में आरोप तय कर दिया। विशेष अदालत का कहना था कि छह दिसम्बर 1992 को विवादित ढांचा ढहाए जाने के समय मुल्जिम वहां मौजूद थे। उनके द्वारा विवादित ढांचे को आपराधिक षडयंत्र के तहत ध्वस्त किया गया। अदालत के इस आदेश पर हस्ताक्षर करने के पहले लालकृष्ण आडवाणी ने अपना पक्ष लिखा। इसमें उन्होंने लिखा कि उन पर जो आरोप लगाए गए हैं ,उनसे उन्होंने इनकार किया है।
विशेष अदालत में इस पूरी सुनवाई के दौरान मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील एमएम हक भी मौजूद थे।