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बाबरी ढांचा केस में आडवानी-जोशी सहित 12 आरोपियों को सीबीआई कोर्ट में मिली जमानत



अयोध्या विवादित ढांचा मामले में आज बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती समेत 12 लोगों विशेष सीबीआई कोर्ट ने जमानत दे दी. कोर्ट सभी आरोपियों को 20-20 हजार के निजी मुचलके पर जमानत दी है.  इन सभी नेताओं पर साल 1992 के विवादित ढांचा केस में आरोप तय किए जाने को लेकर सुनवाई हुई.

अभी इस मामले में सुनवाई जारी है. डिसचार्ज एप्लिकेश बचाव पक्ष की ओर से दी गई है. डिसर्चाज एप्लिकेशन यदि कोर्ट ने स्वीकार कर ली तो इन आरोपियों पर आरोप तय नहीं होंगे और मुकदमा नहीं चलेगा. इस एप्लिकेशन के रिजेक्ट होने पर आरोप तय होंगे. बचाव पक्ष के वकील ने कहा है थोड़ी देर में इस पर नतीजा आ जाएगा. इस केस में साक्षी महाराज के वकील प्रशांत अटल ने ये बात मीडिया से कही. वकील ने बताया कि डिसर्चाज एप्लिकेशन में आरोपियों द्वारा लिखा गया है कि विवादित ढांचा गिराने में हमारी कोई भूमिका नहीं थी. हमने लोगों को शांत कराने का काम किया.

पिछले आदेश में कोर्ट ने इन नेताओं को आज हर हाल में अदालत में पेश होने का निर्देश दिया था. 

वहीं उमा भारती भी कानपुर से लखनऊ के रवाना हुईं. लखनऊ रवाना होने से पहले उमा भारती ने कहा कि "ये खुल्ला आंदोलन था, जैसा इमरजेंसी के वक्त हुआ था, इस आंदोलन में क्या साजिश थी, मुझे पता नहीं"

आज सुबह बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी दिल्ली से लखनऊ के लिए रवाना हुए.

इन नेताओं पर चलेगा केस
लालकृष्ण आडवाणी. मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, विष्णु हरि डालमिया, रामविलास वेदांती, महंत नृत्य गोपाल दास, चंपत राय बंसल और बैकुंठलाल शर्मा प्रेम पर केस चलेगा.बता दें कि यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मौजूदा वक्त में राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह पर केस नहीं चलेगा. पद पर होने की वजह से उन्हें केस से छूट दी गई है. पद से हटने के बाद उन पर केस चल सकता है.

इन सभी नेताओं पर विवादित ढांचा गिराने की साजिश करने, दो धर्मों के लोगों के बीच दुश्मनी पैदा करने, धार्मिक भावनाएं भड़काने, राष्ट्रीय एकता को तोड़ने के आरोप हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल को निर्देश दिया था कि आडवाणी, जोशी और उमा के अलावा बाकी सभी आरोपियों पर बाबरी ढांचा ढहाये जाने के मामले में आपराधिक षडयंत्र का मुकदमा चलेगा. न्यायालय ने मामले की सुनवाई रोजाना कराने और दो साल में सुनवाई समाप्त करने का निर्देश दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भाजपा नेता कल्याण सिंह जब तक राज्यपाल के पद पर हैं, उनके खिलाफ मुकदमा नहीं चल सकता. राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, उसी समय ढांचा ढहाया गया था. न्यायालय ने रायबरेली की अदालत में आडवाणी, जोशी, उमा और तीन अन्य आरोपियों पर चल रहे मुकदमे को लखनउ स्थानांतरित करने का आदेश दिया ताकि ढांचा ढहाये जाने के मामलों की एक साथ सुनवाई हो सके.

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की अदालत ने साल 2001 में तीनों नेताओं को बाबरी मामले में साजिश रचने के आरोपों से बरी कर दिया था. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने साल 2010 में मामले की सुनवाई के दौरान आरोपों को बरकरार रखा. इस साल अप्रैल में सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि भाजपा, शिवसेना तथा विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नेताओं को बाबरी मस्जिद को गिराने की साजिश में कथित संलिप्तता के लिए मुकदमे का सामना करना पड़ेगा. सीबीआई ने भी आरोपों को बरकरार रखने पर जोर दिया था.

सर्वोच्च न्यायालय ने लखनऊ की विशेष अदालत को मामले की रोजाना स्तर पर सुनवाई करने, एक महीने के भीतर ताजा आरोप तय करने तथा दो साल के भीतर मामले का निपटारा करने को कहा था. इस सप्ताह की शुरुआत में पांच आरोपियों ने अदालत के समक्ष समर्पण कर दिया, जबकि शिवसेना के नेता ने बुधवार (24 मई) को समर्पण किया, जिसके बाद सभी को जमानत दे दी गई.

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