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असम-अरूणाचल में पुल बनाने से चीन परेशान, भारत को दे रहा संयम बरतने की सलाह


 

बीजिंग: चीन ने सीमा विवाद का बातचीत के जरिए हल करने के लिए भारत से 'संयमित' और नपा तुला रुख कायम रखने को कहा है. गौरतलब है कि कुछ ही दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम को अरुणाचल प्रदेश से जोड़ने वाले एक रणनीतिक पुल का उद्घाटन किया था. चीन, अरुणाचल प्रदेश के दक्षिणी तिब्बत होने का दावा करता है.

भारत के सबसे लंबे पुल के उदघाटन पर प्रतिक्रिया देने को कहे जाने पर चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन-भारत सीमा के पूर्वी भाग पर चीन का रुख पहले जैसा और स्पष्ट है.

मंत्रालय ने कहा, 'हम आशा करते हैं कि भारत अंतिम समाधान से पहले सीमा मुद्दों पर एक संयमित और नपा तुला रुख अपनाएगा और विवाद को नियंत्रित करने के लिए, सीमा पर क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता की सुरक्षा के लिए चीन के साथ मिलकर काम करेगा.' इसने पुल का जिक्र किए बगैर कहा, 'चीन और भारत को वार्ता एवं परामर्श के जरिए क्षेत्र के विवाद का हल करना चाहिए.' भारत में हाल के समय में सीमावर्ती इलाकों में बुनियादी ढांचों पर काम में तेजी आई है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 मई को अपनी सरकार के तीन साल पूरे होने पर देश के सबसे लंबे नदी पुल ढोला-सादिया सेतु का उद्घाटन करने के बाद उसका नामकरण राज्य के विश्वप्रसिद्ध गायक-संगीतकार भूपेन हज़ारिका के नाम पर करने की घोषणा की. इस पुल की अहमियत ना सिर्फ यहां के लोगों के विकास से जुड़ी है, बल्कि सामरिक तौर पर भी यह अहम भागीदारी निभाएगा. इस पुल के बन जाने से सुदूर उत्तर पूर्व के लोगों को आने जाने की सुविधा मिली है, बल्कि इससे कारोबार को बढ़ावा मिलेगा, साथ ही इसके चालू होने से सेना को असम के पोस्ट से अरुणाचल-चीन बॉर्डर पर पहुंचने में आसानी होगी.

पिछले महीने दलाई लामा के अरुणाचल प्रदेश के दौरे को लेकर चीन ने आपत्ति जताई थी. चीन ने भारत पर इस दौरे की इजाजत देकर द्विपक्षीय रिश्तों को 'गंभीर नुकसान' पहुंचाने का आरोप लगाया था. हालांकि नई दिल्ली ने स्पष्ट कर दिया कि यह एक धार्मिक गतिविधि है.

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