top header advertisement
Home - राष्ट्रीय << पाकिस्तान लौटी उज्मा ने सुनाई दर्द की दास्तां, कैसे बंदूक की नोंक पर हुआ निकाह

पाकिस्तान लौटी उज्मा ने सुनाई दर्द की दास्तां, कैसे बंदूक की नोंक पर हुआ निकाह


मुझे अपने वतन लौटकर बेहद खुशी हुई। अब लग रहा है कि मैं खुली हवा में सांस ले रही हूं। पाकिस्तान मौत का कुआं है। मैं वहां से निकल कर आ गई। लेकिन बुनेर (खैबर पख्तूनख्वा) में कई विदेशी लड़कियां कैद हैं। वहां के ज्यादातर लोग मलेशिया में रहते हैं। वहीं से लड़कियां लाकर पाकिस्तान में कैद कर लेते हैं। मैं अब किसी लड़की को पाक जाने की सलाह नहीं दूंगी। फिर चाहे वो मुस्लिम ही क्यों न हो। यह बात पाकिस्तान से लौटी उजमा ने कही। पाकिस्तान में उजमा पर जो गुजरी, उसी की जुबानी भारत की बेटी होने पर गर्व पाकिस्तान जाना आसान है, लेकिन जिंदा लौटना मुश्किल। मुस्लिम लड़कियां सोचती हैं कि वहां मुस्लिम कल्चर है तो अच्छा होगा। मैं कहती हूं कि वहां औरत तो क्या आदमी भी सेफ नहीं हैं। वहां नर्क है। मैंने दुनिया देखी। पाकिस्तान, मलेशिया और सिंगापुर देख लिया। अपना हिंदुस्तान सबसे अच्छा है। यहां औरतों का सम्मान है। सुषमा मैडम को धन्यवाद मैं सुषमा मैडम को धन्यवाद देती हूं। मैं पाकिस्तान सिर्फ घूमने गई थी। वहां ताहिर अली ने नींद की गोलियां खिलाकर टॉर्चर किया। किडनैप कर एक गांव में रखा। वहां के लोग और बोली बिलकुल अलग थी। उसने मुझे डराया और बेटी को किडनैप करने की धमकी देकर दस्तखत करा लिए। सुषमा मैडम मुझे लगातार फोन कर भरोसा दिलाती थीं। कहतीं बेटी घबराओ मत, हम तुम्हारे लिए लड़ रहे हैं। मैं कई दिन तक भारतीय उच्चायोग में रही। सुषमा मैम ने अफसरों से कहा था, कुछ भी हो जाए, मुझे ताहिर को मत सौंपना। तीन-चार दिन में मार डालते मैं अनाथ हूं। गोद ली बेटी हूं। आज पता चला कि मेरे बारे में सोचने वाले कई लोग हैं। मैं वहां दो-चार दिन और रुकती तो मार या बेच दी जाती। वह पूरा इलाका ही अजीब है, जहां हर मर्द की तीन-चार बीवियां हैं। बंदूक की नोक पर निकाह मलेशिया से धोखे से पाकिस्तान बुलाया गया और ताहिर से बंदूक की नोक पर जबर्दस्ती निकाह कबूल करवाया गया। ताहिर तालिबान के प्रभाव वाले इलाके खैबर पख्तूनख्वा के बुनेर का निवासी है। मुझे वहीं ले जाया गया।" पहली बार नई बातें पता चलीं : सुषमा दिल्ली में उजमा के साथ मीडिया से मुखातिब हुईं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा, उजमा ने बॉर्डर क्रॉस किया तो मैंने राहत की सांस ली। पहली बार मुझे नई बातें पता चलीं। मैं तुम्हारा धन्यवाद देना चाहती हूं कि तुमने भारतीय हाईकमीशन में राहत की किरण देखी। ये तुम्हारी काबिलियत है कि तुम ताहिर को लेकर वहां कैसे पहुंचीं और कहा कि आपने मुझे इंडियन एंबेसी से निकाला तो मैं आत्महत्या कर लूंगी। हमारा एक ही मकसद है कि कोई भारतीय दूतावास पहुंचे और बस इतना कहे कि मैं इंडियन हूं, तो उसे हरसंभव मदद मिल जाए। इस्लामाबाद स्थित दूतावास के अफसर जेपी सिंह ने मुझे बताया कि उजमा नामक लड़की आई है। उसका वीसा 30 मई तक था। मैंने जेपी से कहा कि उससे मेरी बात करा दो और उसे बता दो कि हम उसे एक साल, दो साल या जितना भी वक्त रखना पड़े रखेंगे, लेकिन उस शख्स के पास नहीं भेजेंगे, जिसने उसे टॉर्चर किया। वाघा में माटी माथे पर लगाना ही काफी था सुषमा ने कहा, उजमा ने वाघा पहुंचते ही भारत की जमीं को छुआ, माटी माथे पर लगाई। उस वक्त उसके मन में देश के लिए क्या भाव रहे होंगे। कहते हैं कि एक तस्वीर हजार शब्दों के बराबर होती है। उजमा की इस तस्वीर ने सब बयां कर दिया। तुम कुछ भी नहीं कहती, तो भी कोई बात नहीं थी। उजमा की पूरी कहानी -ताहिर ने प्रेम जाल में फंसाया था - मूल रूप से दिल्ली की 20 वर्षीय उजमा को पाकिस्तान के ताहिर अली ने अप्रैल में इंटरनेट के जरिए प्रेम जाल में फंसाया था। - वह ताहिर से मिलने मलेशिया गई। ताहिर वहां टैक्सी ड्राइवर था। उसने छिपाया कि पहले से वह शादीशुदा है और चार बच्चे हैं। - निकाह से पहले परिजन से मिलाने के बहाने उसने उजमा को पाकिस्तान बुलाया। - 1 मई को उजमा वाघा सीमा होते हुए वैध वीसा व पासपोर्ट से वहां पहुंची। - 3 मई को बुनेर में ताहिर से जबरन निकाह करा दिया गया। - उसे मानसिक व शारीरिक रूप से टॉर्चर किया गया। - ताहिर से मुक्ति पाने के लिए उसने योजना बनाई। कुछ दस्तावेज लाने के लिए भारत चलने को राजी किया। - 5 मई को इस्लामाबाद स्थित भारतीय दूतावास पहुंची। वहां ताहिर को बाहर बैठाकर हेल्प डेस्क पर गई। - अफसरों से कहा-मैं इंडियन हूं, देश लौटना चाहती हूं। तब उप-उच्चायुक्त जेपी सिंह ने तुरंत उसे बुलाया। - उजमा ने सिंह को पूरा घटनाक्रम व जुल्म की कहानी बताई। - 11 मई को उजमा ने इस्लामाबाद हाई कोर्ट से देश जाने की अनुमति मांगी व ताहिर द्वारा छीन लिए गए यात्रा दस्तावेज दिलाने की मांग की। - 23 मई को कोर्ट ने उसे इजाजत दे दी। पाक पुलिस को कड़ी सुरक्षा में वाघा बॉर्डर छोड़ने का निर्देश दिया। - 25 मई को जेपी सिंह व पाक रेंजर्स उसे वाघा लेकर पहुंचे। वहां से दिल्ली लाया गया।

Leave a reply