आज है वो ऐतिहासिक दिन जब भारत ने विश्व को दिखाई थी अपनी ताकत और बदल दिया था भारत के प्रति सोच का नजरिया
11 मई 1998 को पोखरन में दूसरा परमाणु परीक्षण किया गया था. ये परीक्षणा इसलिए अहम था क्योंकि इसने पूरी दुनिया के सामने भारत की छवि को बदल कर रख दिया था. उस दिन दुनिया ने समझा कि भारत तेजी से उभरती ताकत है. और ये भी कि कोई सैटेलाइट उसके मंसूबों को भांप नहीं सकती.
जी हां, ये बात अमेरिका के परिप्रेक्ष्य में सही साबित होती है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस परीक्षण से पहले अमेरिका स्पाई सैटेलाइट्स के जरिए भारत पर कड़ी निगरानी रख रहा था. लेकिन इसके बावजूद भी तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने वो कर दिखाया, जो पूरी दुनिया को चौंका गया.
जब हिल गया अमेरिका
राजस्थान के जैसलमेर स्थित पोखरण की जमीन गवाह बनी कि भारत को कम आंकने वाले दरअसल धोखे में हैं. इस दिन जबर्दस्त परमाणु परीक्षण कर भारत ने दुनिया को चौंकाया, सबसे अधिक हैरत तो अमेरिका को थी. इसका कारण था उसके वो स्पाई सैटेलाइट, जो दिन-रात भारत की गतिविधियों पर नजर रख रहे थे. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उस समय भारत में घट रही पल-पल की रिपोर्ट अमेरिका के खुफिया विभागों को मिला करती थी.
इस तरह की गई प्लानिंग
खबरों के मुताबिक भारत ने परमाणु परीक्षण की तैयारी इतनी गोपनीयता और कुशल रणनीति के साथ की थी कि अमेरिकी सैटेलाइट भी गच्चा खा गए थे. हालांकि कुछ वैज्ञानिकों समेत गिने-चुने लोगों को ही इसकी जानकारी थी, लेकिन सभी ने अपना काम बड़ी कुशलता से किया था. इस टीम के अलावा सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारियों, मंत्रियों तक को इसका पता नहीं था.
कैसे गुपचुप किया गया काम
- बताया जाता है कि जिस फील्ड में परीक्षण किया जाना था, उसमें दिन में खेल गतिविधियां आयोजित की जातीं थीं. यही नहीं, इन स्पोर्ट्स एक्टिविटीज में सेना के जवानों के साथ वैज्ञानिक भी सैनिकों की वर्दी में ही हिस्सा लिया करते थे. जैसे ही भारतीय वैज्ञानिकों को पता चलता कि अमेरिका और अन्य देशों के सैटेलाइट की नजर धुंधली हो रही है वे खुदाई कार्य और परीक्षण की तैयारी करते.
देखें भारतीय सेना की वर्दी में कलाम
- खबरों के मुताबिक, परीक्षण का सामान आलू-प्याज के ट्रकों में भरकर वहां तक पहुंचाया जाता था. इसे 'ऑपरेशन शक्ति' का नाम दिया गया था.
- हैरानी की बात ये है कि पोखरण के सबसे समीप के गांव खेतोलाई के गांववालों तक को इसकी भनक नहीं लगी थी. परीक्षण से ऐन पहले गांव खाली कराए गए थे.
बता दें कि इससे पहले 18 मई 1974 को पहला परमाणु परीक्षण किया गया था.