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अमृत सिटी योजना में भ्रष्टाचार की शुरूआत


 

सवा तीन लाख की बजाय 6 लाख 75 हजार मांगने वाली कंपनी को दिया काम-मुख्यमंत्री को शिकायत

उज्जैन। स्वयं के लाभ के लिए कर्ज में डूबे नगर निगम को आर्थिक हानि पहुंचाने का कोई भी मौका अधिकारी नहीं छोड़ रहे हैं। शहर को मिली अमृत सिटी योजना में भी सवा तीन लाख प्रतिमाह की दर पर काम देने वाली कंपनी को काम देने की बजाय अधिकारियों ने इससे दुगनी कीमत 6 लाख 75 हजार मांगने वाली कंपनी को काम दिया है। अधिकारियों के इस निर्णय से प्रतिवर्ष नगर निगम को करीब 40 लाख रूपये की आर्थिक हानि होगी। 

उक्त आरोप लगाते हुए कांग्रेस नेता रवि राय के अनुसार केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना अमृत सिटी के तहत प्रारंभिक चरण में उज्जैन का चयन किया गया था। विकास कार्य की विस्तृत योजना हेतु नगर निगम में कंसल्टेंट की नियुक्ति हेतु टेंडर आमंत्रित किये गये जिसमें टाटा कंसल्टींग इंजीनियरिंग लिमिटेड द्वारा 3.25 लाख में प्रतिमाह कार्य हेतु न्यूनतम दर को दरकिनार करते हुए नगर निगम के इंजीनियरों द्वारा मार्किंग के आधार पर टाटा कंपनी को एच 2 की मार्किंग करते हुए अत्यधिक दर वाली कंसल्टींग एजेंसी क्रिसील रिस्क एंड इंफास्ट्रक्चर को 6.75 लाख प्रतिमाह की दर पर दिया है और उसे मार्किंग एच 1 की है। रवि राय ने कहा कि पहले इन्हीं अधिकारियों द्वारा जवाहरलाल नेहरू मिशन, सिंहस्थ आदि के करोड़ों रूपये का अपव्यय करते हुए स्वयं के हित हेतु करोड़ों रूपये की हानि निगम को पहुंचाई है अब अमृत सिटी में टाटा कंपनी को बाहर का रास्ता दिखाते हुए क्रिसील कंपनी को कार्य देना एवं नगर निगम को 40 लाख की आर्थिक हानि पहुंचाना निंदनीय है। राय ने मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव, नगरीय प्रशासन एवं महापौर को पत्र प्रेषित कर जिम्मेदार अधिकारियों से 40 लाख रूपये की वसूली करने एवं इस आर्थिक अनियमितता के विरूध्द कार्यवाही की मांग की है। आपने पक्ष-विपक्ष के पार्षदों से आग्रह किया है कि स्मार्ट सिटी से प्राप्त राशि पर सतत निगरानी रखते हुए भ्रष्टाचार को रोके।

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