विधानसभा में आप पार्टी ने दिखाया डेमो, कैसे होती है ईवीएम से छेड़़छाड़
पांच राज्यों में हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव और दिल्ली नगर निगम चुनाव के बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर शुरु हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. मंगलवार को दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया ताकि ईवीएम से हो रही छेड़छाड़ को साबित किया जा सके.
सौरभ भारद्वाज ने दिया ईवीएम डेमो
आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज ने ईवीएम से छेड़छाड़ का डेमो देना शुरु किया. आम आदमी पार्ट के विधायक सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली असेंबली में ईवीएम जैसी दिखने वाली मशीन को हैक करने का दावा किया. उन्होंने इस डेमो के जरिए ये साबित करने की कोशिश की वोट वास्तव में किसी और को डाले गए लेकिन काउंटिंग में नतीजे कुछ और आए.
EVM मशीन को लेकर किए दावे
सौरभ ने ईवीएम जैसी एक मशीन पर वोट देकर गड़बड़ी का खुलासा करना शुरु किया. सौरभ ने सदन में आम आदमी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी को बतौर डेमो वोट दिया. भारद्वाज ने दावा किया कि हैकिंग के लिए सीक्रेट कोड्स का इस्तेमाल होता है और कहा कि 90 सेकेंड में मदरबोर्ड बदल सकता है. उन्होंने 19 वोट डालकर यह दावा किया कि हकीकत में 19 में से 10 वोट AAP को मिलने चाहिए लेकिन हैकिंग होगी तो AAP को 2 ही वोट मिलेंगे और BJP को 11 वोट मिल जाएंगे.
वोटिंग के वक्त ही ईवीएम में गड़बड़ी का दावा किया
सौरभ ने इस दौरान बताया कि ईवीएम में अलग-अलग कोड के जरिए वोटिंग के वक्त ही ईवीएम में गड़बड़ी की जा सकती है. इस मशीन को कोई भी सामान्य वोटर, वोट देने के दौरान ही छेड़छाड़ कर सकता है. डेमो के दौरान सौरभ ने बताया कि कैसे कोई सामान्य वोटर, अपने मनचाहे वो वोट देता है और अगर वो कोड जो उसे पता है और उसी दौरान वो दबा दे तो उसके बाद सारे वोट उसी पार्टी को जाने लगते हैं. उन्होंने दावा किया कि ईवीएम मशीन में मदरबोर्ड बदलने की देरी होती है और फिर सब कुछ वैसा ही होता है जैसा कोई दल चाहता है. सौरभ ने कहा कि इन भ्रष्टाचारियों से लड़ने के लिए इंजीनियरिंग छोड़ी थी और आज इन्ही से लड़ने के लिए वापस इंजीनियरिंग का काम किया.
ईवीएम पर विवाद कब शुरू हुआ?
पांच राज्यों में वोटिंग के लिए ईवीएम के इस्तेमाल पर मायावती, हरीश रावत, अखिलेश यादव और अरविंद केजरीवाल जैसे नेताओं ने सवाल उठाए. इन राज्यों में से यूपी और उत्तराखंड में बीजेपी को भारी बहुमत मिला है. ईवीएम विवाद के बाद इलेक्शन कमीशन ने कहा था- मशीन को दो बार चेक किया जाता है. उसे उम्मीदवार के सामने जांचा और सील किया जाता है. वोटों की गिनती से पहले भी ईवीएम को कैंडिडेट्स के सामने खोला जाता है. गौर हो कि 1980 में चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को ईवीएम दिखाया था. लेकिन 24 साल बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में इसका पूरे देश में इस्तेमाल शुरू हो सका. आज तक कोई भी चुनाव आयोग को ईवीएम में हैकिंग के पुख्ता सबूत नहीं दे पाया है.