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प्रमोशन में आरक्षण पर कार्मिक विभाग की रिपोर्ट तैयार, रिपोर्ट में बनी सहमति



देश में आरक्षण की व्यवस्था खत्म करने की बढ़ती मांग के बीच सरकार सरकारी कर्मचारियों को प्रोन्नति में आरक्षण देने पर सहमत हो गयी है. सरकार चाहती है कि अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) को तय सीमा तक आरक्षण का लाभ दिया जाना चाहिए.

सूत्रों ने कहा है कि सरकार जल्द ही संबंधित विभागों को इस संबंध में निर्देश जारी करेगी. कार्मिक विभाग ने प्रमोशन में आरक्षण के मसले पर एम नागराज बनाम केंद्र सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अमल में लाने के लिए तैयार की गयी रिपोर्ट में इस पर सहमति जतायी है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को समान अवसर और उनके समेकित विकास के लिए जरूरी है कि उनके लिए प्रमोशन में आरक्षण की सुविधा जारी रहे. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सरकार के कई कैडर में एससी और एसटी वर्ग के लोगों की हिस्सेदारी संविधान में उनके लिए तय सीमा से भी कम है. इसलिए जब तक आरक्षण तय सीमा तक न पहुंच जाये, उन्हें यह लाभ मिलते रहना चाहिए.

पिछले दिनों कार्मिक विभाग ने इस मसले के लिए बनी मंत्रियों की उच्चस्तरीय समिति के समक्ष एक प्रेजेंटेशन दिया. समिति में गृह मंत्री, वित्त मंत्री, रक्षा मंत्री, विधि एवं न्याय मंत्री, सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री, आदिवासी कार्य मंत्रालय और कार्मिक विभाग के राज्य मंत्री शामिल हैं.

राजनीतिक रूप से अहम कदम
राजनीतिक रूप से सरकार का यह कदम अहम होगा, क्योंकि यह बसपा जैसी पार्टी का बड़ा मुद्दा खत्म कर देगा. सरकार बसपा की मांग उस वक्त पूरी करने जा रही है, जब वह संसद में प्रभावी समर्थन या विरोध करने की स्थिति में नहीं है.

आरक्षण की स्थिति
-किसी भी विभाग में वर्तमान में होनेवाली 14 नियुक्तियों में अनुसूचित जाति को मिलनेवाले 15 फीसदी आरक्षण के हिसाब से दो पद आरक्षित रखे जाते हैं. लेकिन, सच्चाई यह है कि निचले कैडर में अभी इस वर्ग के लोगों को केवल एक ही पद मिल रहा है.

-अब निचले कैडर के कर्मियों को भी प्रोन्नति के 13 पदों में से दो पद एससी के लिए आरक्षित रखना होगा. कार्मिक विभाग ने माना है कि विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में अभी भी एससी और एसटी के लिए 15 फीसदी और 7.5 फीसदी के आरक्षण की सीमा तक नहीं पहुंचा जा सका है.

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